Moral Story in Hindi : अनाथ बेटी
माधो पुर गॉव में सावित्री अपनी बेटी अंजना के साथ रहती थी। सावित्री के पति का देहान्त हो चुका था। सविता गॉव के जमींदार के घर में काम करके घर का खर्च चलाती थी। वह अंजना को पढ़ा लिखा कर डॉक्टर बनाना चाहती थी। इसलिए वह बहुत मेहनत से काम करती थी।
एक दिन सावित्री ने अंजना से कहा ‘‘बेटी मैं काम पर जा रही हूं’’
अजंना बाहर खेल रही थी ‘‘अंजना ने कहा मॉं आप आज काम पर मत जाओ मेरे साथ घर पर रहो आपके बिना मेरा मन नहीं लगता’’
सावित्री बोली ‘‘बेटी काम पर तो जाना ही पड़ेगा नहीं तो पैसे कहां से आयेंगे और फिर पैसे इकट्ठे कर तुझे पढ़ाना है जब तू पढ़ लिखकर डॉक्टर बन जायेगी मैं घर पर रहा करूंगी’’ यह कह कर सावित्री काम पर चली गई।
अंजना खेल में लग गई
दोपहर के समय अंजना घर में सो रही थी तभी किसी ने दरवाजा खटखटाया अंजना ने दरवाजा खोला तो सामने पड़ोस में रहने वाले रामू काका खड़े थे। उन्होंने अंजना से कहा ‘‘बेटी तेरा कोई रिशतेदार है जिसे तू जानती हो’’
अंजना ने पूछा ‘‘काका मेरे मामा मामी पास के गॉव में रहते हैं लेकिन आप क्यों पूछा रहे हैं’’
तब रामू काका ने बताया ‘‘बेटी तेरी मॉं सफाई कर रही थी और वह गिर गई अब वह हमारे बीच नहीं रही’’
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यह सुनकर अंजना के होश उड़ गये वह रोने लगी रामू काक ने बड़ी मुश्किल से उसे चुप कराकर उससे मामा का पता पूछ कर एक गॉव के एक आदमी को उन्हें खबर देने भेजा।
सावित्री के भाई रमेश ने आकर सावित्री का अंतिम संस्कार किया उस पत्नि ने अंजना को संभाला।
अगले दिन रामूकाका और गॉव के जमींदार अंजना के घर आये।
उन्होंने रमेश से बात की जमींदार ने कहा ‘‘रमेश जी यह बच्ची अब अनाथ हो गई है इसकी देखभाल आपको करनी होगी सावित्री का देहांत मेरे घर में काम करते हुए हुआ इसलिए मैं इस बच्ची के पालन पोषण के लिए 1 लाख रूपये दे रहा हूं।
आप इसका अच्छे पालन पोषण करना।’’ यह कहकर जमींदान ने रुपये रमेश को दे दिये।
रमेश ने कहा ‘‘मैं इसका अच्छे से पालन पोषण करूंगा आप चिन्ता न करे’’
अगले दिन रामेश अपनी पत्नि कुसम और अंजना को लेकर अपने घर आ गया। लेकिन अंजना का वहां मन नहीं लग रहा था उसे अपनी मॉं की याद आ रही थी। वह दिन रात रोती रहती।
एक दिन कुसुम ने कहा ‘‘अंजना जो होना था वह हो गया अब उसे भूल जाओ और घर के काम में मेरी मदद किया करो’’
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अंजना ने कुछ नहीं कहा वह चुपचाप मामी के काम में हाथ बटाने लगी।
एक दिन अंजना ने अपने मामा से कहा ‘‘मामा मैं स्कूल कब जाउंगी मैं पढ़ना चाहती हूं मॉं मुझे डॉक्टर बनाना चाहती थीं’’
रमेश यह सुनकर गुस्से में बोला ‘‘हां हां तेरी मॉं ने तो बहुत पैसा छोड़ा है तेरे लिए जो तुझे स्कूल भेजू चुपचाप घर में रहना है तो रह नहीं तो वापस अपने गॉव चली जा’’
रमेश और कुसुम अंजना के पैसे हड़प चुके थे वे अब अंजना से पीछा छुड़ाना चाहते थे। कुसुम अंजना से सारे घर का काम करवाती और उसे ठीक से खाना भी नहीं देती थी।
अंजना मामा मामी के अत्याचारों से बहुत दुखी हो गई वह अकेले में रोती रहती। वह अब मामा के घर नहीं रहना चाहती थी। एक दिन वह घर छोड़ कर चल दी।
वह अपने गॉव जाना चाहती थी। लेकिन वह चलते चलते शहर पहुंच गई उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था कि कहां जाये क्या करे। उसे बहुत भूख लग रही थी।
अंजना सड़क के किनारे बैठ कर रोने लगी। तभी उसके पास एक बुढ़िया माई आई उन्होंने अन्जना से पूछा अंजना ने रोते हुए सारी बात बता दी तब बुढ़िया माई ने कहा ‘‘मैं भीख मांग कर गुजारा करती हूं तू भी मेरे साथ भीख मांग और पास ही मेरी छोटी सी झोपड़ी है वहीं रह लेना’’
अगले दिन से अंजना बुढ़िया माई के साथ भीख मांगने लगी उसे यह काम पसंद नहीं था लेकिन मजबूरी में करना पड़ता था।
एक दिन वह भीख मांगते मांगते एक अस्पताल के पास पहंुच गई वह अस्पताल के अन्दर चली गई वहां उसे एक डॉक्टर मिले। डॉक्टर ने उनसे पूछा ‘‘बेटी तुम्हें क्या परेशानी है’’
तब अंजना ने कहा ‘‘डॉक्टर अंकल मैं बिल्कुल ठीक हूं मुझे तो आपके जैसे डॉक्टर बनना है मुझे डॉक्टर बना दीजिये’’
यह सुनकर डॉक्टर ने पूछा ‘‘बेटी तुम कौन हो और डॉक्टर क्या बनना चाहती हों’’
अंजना ने सारी बात उन्हें बता दी उसकी बात सुनकर डाक्टर उसे अपने घर ले गये। उन्होंने अपनी पत्नि से अंजना के बारे में बात की उनकी पत्नि के कोई सन्तान नहीं थी।
उन्होंने अंजना को अपने घर में रख लिया और उसे स्कूल भी भेजना शुरू कर दिया।
धीरे धीरे समय बीत गया अंजना बड़ी हो गई एक दिन वह घर पहुंची और उसने कहा ‘‘मम्मी पापा आप कहां हो’’
डॉक्टर की पत्नि ने अंजना से पूछा ‘‘क्या बात है बेटी तुम आज बहुत खुश नजर आ रही हों’’
अंजना ने उनके पैर छुये और कहा ‘‘मॉं आज में डॉक्टर बन गई यह आप दोंनो के कारण हुआ है आपने एक अनाथ भिखारिन को अपनी बेटी बना लिया’’
यह कहकर अंजना रोने लगी डॉक्टर और उनकी पत्नि ने उसे चुप कराया डॉक्टर ने उससे कहा ‘‘बेटी तुम डॉक्टर अपनी मेहनत से बनी हो हमने कुछ नहीं किया आज खुशी का दिन है रोने का नहीं’’ यह कह कर उन्होंने अंजना को गले से लगा लिया।
अगले दिन से अंजना डॉक्टर बन कर अस्पताल में काम करने लगी।
कुछ दिनों बाद डॉक्टर और उनकी पत्नि ने अंजना की शादी करवा दी अंजना का पति भी एक डॉक्टर था। इस तरह अंजना ने अनाथ होते हुए भी अपनी लगन और मेहनत से अपनी मॉं का सपना पूरा कर दिखाया।
शिक्षा
मेहनत और लगन यदि सच्ची हो तो इश्वर किसी न किसी रूप में मदद करने आ ही जाते हैं।
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