गरीब की गर्मियों की छुट्ट्यिां | Kids Story in Hindi

Kids Story in Hindi
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एक शहर में मोहनलाल नाम का एक मजदूर अपनी पत्नि शांति व दो बच्चों सुमित और सुरेश के साथ रहत था। वह शहर में एक छोटे से मकान में रहते थे। शांति अपने बच्चों को पढ़ लिखा कर बड़ा आदमी बनाना चाहती थी।

दोंनो बच्चे स्कूल जाते थे। एक दिन सुमित और सुरेश स्कूल से वापस आये।

सुमित: मॉं परसों से स्कूल की छुट्ट्यिां होने जा रही हैं।

शांति: यह तो बहुत अच्छी बात है।

सुरेश: मॉं हमारे स्कूल में पढ़ने वाले ज्यादातर बच्चे गर्मियों की छुट्ट्यिों में घूमने पहाड़ों पर जा रहे हैं। हम कब जायेंगे।

शांति : बेटा हम नहीं जा सकते वहां बहुत पैसे लगते हैं। तुम्हारे पिता बहुत मुश्किल से कुछ पैसे कमा पाते हैं। और बड़ी मुश्किल से तुम्हारे स्कूल का खर्च उठा पाते हैं।

यह सुनकर दोंनो बच्चे जिद करने लगे। शाम को मोहन लाल जब वापस आया तो शांति ने उसे सारी बात बता दी।

मोहनलाल: शांति तुम तो जानती हो बहुत मुश्किल से घर का खर्च चल पाता है अब ऐसे में बच्चों कहां घुमाने ले जा सकते हैं।

इसी तरह कई दिन बीत जाते हैं। शांति बच्चों को समझाने की बहुत कोशिश करती है लेकिन वे नहीं मानते।

शांति: बच्चों चलो अब जिद मत करो। यदि हमारे वश में होता तो हम तुम्हें अवश्य घुमाने ले जाते।

सुरेश: लेकिन मॉं जब स्कूल के सभी बच्चे वापस आकर हमें वहां के बारे में बतायेंगे तो हम क्या कहेंगे हमारे पास तो कुछ भी बताने के लिए नहीं होगा।

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अगले दिन शांति और मोहनलाल बात करते हैं।

शांति: सुनो जी बच्चों के लिए कुछ तो करना पड़ेगा आखिर इनका भी मन करता है कहीं जाने का।

मोहनलाल: मेरे पास कुछ पैसे हैं कुछ और पैसों का इंतजाम करके इन्हें अपने गॉव ले चलते हैं वहां एक पहाड़ भी है इनका घूमना हो जायेगा और इसी बहाने हम भी गॉव में कुछ समय बिता आयेंगे।

कुछ दिन बाद मोहनलाल, शांति और दोंनो बच्चे गॉव के लिए निकल जाते हैं। बच्चे बहुत खुश थे।

मोहनलाल उन्हें लेकर गॉव पहुंच जाता है। गॉव देखकर दोंनो बच्चे गुस्सा हो जाते हैं।

सुमित: मम्मी आपने तो कहा था हम घूमने जा रहे हैं। आप तो हम गॉव ही ले आये यहां तो हम पहले आ चुके हैं हमें तो नई जगह जाना था।

मोहनलाल: बेटा यहां पास ही में एक पहाड़ है कल हम वहां चलेंगे।

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अगले दिन मोहनलाल बच्चों के लेकर पहाड़ दिखाने ले जाता है। तभी रास्ते में उसे गॉव के जमींदार मिलते हैं।

जमींदार: कैसे हो मोहनलाल शहर से कब आये।

मोहनलाल: मालिक कल ही आया हूं बच्चों की छृट्ट्यिां थी तो सोचा गॉव चले। बच्चों को पहाड़ दिखाने ले जा रहा हूं।

जमींदार: हॉं हॉं ठीक है समय मिले तो घर आना तुमसे कुछ बात करनी है।

मोहनलाल बच्चों को पहाड़ पर ले जाता है। कुछ समय बाद सब घर वापस आ जाते हैं।

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शांति: बच्चों घूम आये पहाड़ पर कैसा लगा

सुरेश: मॉं यह भी कोई पहाड़ है हमारे दोस्त जिस जगह गये हैं वहां तो बर्फ पड़ रही है।

शांति उन्हें समझाने की कोशिश करती है लेकिन बच्चे नहीं मानते और सो जाते हैं। मोहनलाल और शांति बहुत दुखी होते हैं।

शाम को मोहनलाल जमींदार के घर जाता है।

जमींदार: मेरा बेटा शहर में रहता है वह शहर जाकर मुझे व अपनी मॉं को भूल गया है। मैं बहुत बीमार रहता हूं मेरी पत्नि भी ठीक नहीं रहती लेकिन वह एक बार भी मुझसे या अपनी मॉं से मिलने नहीं आता।

कल तुमने अपने बच्चों के बारे में बताया तो सोचा तुमसे बात करूं। तुम्हारे बच्चे गॉव में रहते थे तब ठीक थे अब शहर में ये नई नई चीजें देखेंगे और तुमसे जिद करेंगे। बड़े होकर ये भी तुम्हें भूल जायेंगे। मैंने अपने बेटे को शहर भेज कर गलती की वह गलती तुम मत करो यहीं गॉव मंे रहो।

मोहनलाल: आप ठीक कह रहे हैं मालिक लेकिन ये तो अभी बहुत छोटे हैं। और फिर गॉव में करेंगे भी क्या।

जमींदार: मैं अपनी पत्नि को लेकर श्मिला जा रहा हूं वहां मेरा बड़ा सा घर है। मैं चाहता हूं तुम सब भी हमारे साथ चलो हमारी देखभाल करने के लिए वहीं स्कूल में तुम्हारे बच्चों का दाखिला करा देंगे और तुम दोंनो हमारी और घर की देखभाल करते रहना जितना शहर में कमाते हो उससे दुगना कमा लोगे।

मोहनलाल: ठीक है मालिक एक बार पत्नि से बात करके कल आपको बताता हूं।

मोहनलाल ने शांति से बात की शिमला जाने की बात सुनकर बच्चे बहुत खुश हुए।

दो दिन बात सब शिमला पहुंच गये।

सुमित: मॉं हमने तो आपसे छुट्ट्यिों में घूमने के लिए कहा था आपने तो हमारा घर ही पहाड़ों पर बना दिया आप सबसे अच्छे माता पिता हो।

सुरेश: हॉं मॉं हमें जिद नहीं करनी चाहिये थी।

मोहनलाल और शांति ने भगवान का शुक्रिया अदा किया और सब खुशी खुशी शिमला में रहने लगे।

शिक्षा

इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि माँ बाप को बच्चो की हर जिद पूरी नहीं करनी चाहिए साथ ही बच्चों को भी समझना चाहिए की माँ बाप की मज़बूरी समझें

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