Mangla Gauri Vrat ki Kahani : आज सावन का दूसरा मंगल है। यह दिन सौभाग्यवती स्त्रियों के लिये बहुत भाग्यशाली होता है इस दिन व्रत करके वे अपनी पति और बच्चों की लंबी उम्र की कामना करती हैं। इस व्रत की पूजा विधि व व्रत करने का तरीका हमने पहले मंगला गौरी व्रत में किया है जिसे आप इस लिंक पर क्लिक करके देख सकते हैं।
सौभावती स्त्रियों के लिए वरदान है मंगला गौरी व्रत : जानिए पूजा विधि, व्रत कथा
यहां आज हम आपको आज मंगला गौरी व्रत से जुड़ी एक कथा के बारे में बताने जा रही है। आईये जानते हैं क्या है यह कथा-
मंगला गौरी व्रत की कथा (Mangla Gauri Vrat ki Kahani)
एक दिन भगवान शिव गहन ध्यान की अवस्था में थे। तभी मॉं पार्वती ने नन्दी को कहा –
मॉं पार्वती: नन्दी भगवान शिव से कहो की भोजन कर लें।
नन्दी: मॉं मैं भगवान की तपस्या भंग नहीं कर सकता।
यह सुनकर मॉं पार्वती ने कहा
मॉं पार्वती: भगवान शिव जब तपस्या से उठें तो आप उन्हें यह भोजन परोस देना। मैं आज पृथ्वी लोक पर भ्रमण करने जा रही हूं।
यह कहकर मॉं गौरी पृथ्वी लोक पर चल देती हैं।
पृथ्वी लोक पर पहुंच कर वे देखती हैं। हर जगह मंगला गौरी व्रत किया जा रहा है। इससे वे बहुत प्रसन्न होती हैं। चलते चलते उन्हें एक घर दिखाई देता है जहां से भोजन बनने की खुशबू आ रही थी।
पार्वती जी उस घर में चली जाती हैं।
वहां वे देखती हैं। कि एक आदमी सो रहा है और उसकी पत्नि खाना बना रही है।
पार्वती जी एक साधवी भेष बदल कर उसके पास जाती हैं।
साध्वी: बेटी तुम आज भोजन बना रही हों क्या तुमने मंगला गौरी का व्रत नहीं किया।
औरत: मांजी आप कौन हैं और मुझसे क्यों पूछ रही हैं
साध्वी: बेटी मैं तो यहां से गुजर रही थी खाने की खुशबू से यहां आ गई।
औरत: मांजी मैं मंगला गौरी का व्रत करती हूं यह भोजन मैं अपने पति के लिये बना रही हूं।
साध्वी: लेकिन इस गॉव की सभी औरतें तो पूजा करने मंदिर गई हैं। तुम क्यों नहीं गईं
औरत: मैं मन ही मन में मॉं पार्वती का ध्यान करके पूजा कर लेती हूं।
साध्वी: लेकिन तुम ऐसा क्यों करती हों यदि तुम मन्दिर जाकर पूजा करो तो मॉं का आशीर्वाद तुम्हें अवश्य मिलेगा।
औरत: वह तो ठीक है मांजी लेकिन यदि मेरे पति पीछे से जाग गये और उन्हें भूख लगी तो क्या होगा। मैं हमेशा अपने सामने उन्हें भोजन कराती हूं। यही मेरा धर्म है।
साध्वी: तो क्या तुम अपने पति को भगवान से बड़ा मानती हों।
औरत: जी नहीं लेकिन मैं अपना पतिव्रत धर्म किसी भी पूजा पाठ से ज्यादा मानती हूं। मैं अपने पति की सेवा को परम धर्म मानती हूं चाहें इसके लिये मुझे नरक में ही जानना पड़े।
साध्वी: तुम्हें इसका फल अवश्य मिलेगा तुम पर भगवान भोलेनाथ और पार्वती जी की कृपा सदा बनी रहेगी।
वहां से पार्वती जी सीधे महादेव के पास पहुंची। महादेव अभी भी ध्यान की मुद्रा में थे।
पार्वती जी: प्रभु मुझे माफ कर दीजिये मुझसे आज बहुत बड़ा अपराध हो गया।
महादेव: एक पतिव्रता नारी ने आपको आपकी भूल का अहसास कराया यही बात है।
पार्वती जी रोने लगी। तब महादेव ने उन्हें समझाया
महादेव: पार्वती इस संसार पृथ्वी लोक पर लोग समाज और धर्म के नियमों से बंधे होते हैं लेकिन तुम आदि शक्ति हो तुम्हें मेरे साथ साथ इस पूरे संसार का ध्यान रखना है। इसलिये पृथ्वीलोक का नियम यहां नहीं चल सकता। इसके लिये अपने आप को दोष मत दो।
पार्वती जी बहुत खुश हुई इसके बाद उन्होंने महादेव को भोजन कराया।
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