सावन का सोमवार (दूसरा) | Sawan Somvar Puja Vidhi Vrat Katha

Sawan Somvar Puja Vidhi Vrat Katha
Advertisements

Sawan Somvar Puja Vidhi Vrat Katha : सावन के दूसरे सोमवार के शुभ अवसर पर भगवान भोलेनाथ के सभी भक्तों का स्वागत है। आज सावन का दूसरा सोमवार है। भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिये आपको पहले सोमवार के अनुसार ही व्रत रखना चाहिये भोलेनाथ की पूजा करनी चाहिये भगवान की पूजा व व्रत की विधि आप नीचे दिये लिंक पर क्लिक करे देख सकते है।

Read Also : सावन का पहला सोमवार : भोलेनाथ को प्रसन्न करना है तो ऐसे करें व्रत-पूजन

सावन के सोमवार से जुड़ी कहानी

रमेश एक गरीब किसान था। वह अपनी पत्नि सुमन के साथ एक पुराने से मकान में रहता था। एक दिन रमेश खेत से घर वापस आया।

सुमन: आप आ गये मैं अभी आपके लिए खाना बनाती हूं।

रमेश: हॉं जल्दि से खाना बना दे बहुत भूख लगी है।

सुमन: सुनो जी कुछ दिनों में सावन मास शुरू हो जायेगा और हमारी छत पिछली बरसात में बहुत टपकती थी। इसलिए इस साल सावन आने से पहले इसकी मरम्मत करवा लेते।

रमेश: हां सोच तो मैं भी रहा था। ठीक है मैं कल जमींदार से बात करता हूं

अगले दिन रमेश जमींदार के पास जाता है।

रमेश: सेठ जी मुझे कुछ रुपये उधार दे दीजिये फसल कटते ही चुका दूंगा।

Advertisements

जमींदार: वाह पिछला कर्ज तो तुझसे चुकाया नहीं जा रहा नया चाहिये पिछले साल सूखा पड़ गया तो तूने कर्ज नहीं चुकाया। मैं अब तुझे एक पैसा भी नहीं दूंगा।

रमेश निराश होकर घर वापस आ जाता है।

कुछ दिनों बाद सावन शुरू हो जाता है। सावन के पहले सोमवार के दिन रमेश और कविता भगवान शिव के मन्दिर जाने के लिए तैयार हो रहे थे तभी बहुत तेज बारिश शुरू हो ताजी है।

कविता: हे भगवान बारिश शुरू हो गई अब हम मन्दिर कैसे जायेंगे।

रमेश: थोड़ा इंतजार कर लेते हैं। शायद कुछ देर में बंद हो जाये।

काफी समय बीत जाने के बाद भी बारिश बंद नहीं होती। उनके घर की छत टपकने लगती है।

रमेश: लगता है आज भगवान भोलेनाथ भी हमारी परीक्षा ले रहे हैं। तू ऐसा कर घर में ही मिट्टी का शिवलिंग बना ले उसी पर बेलपत्र और दूध चढ़ा कर पूजा कर लेते हैं।

कविता: लेकिन वह तो बह जायेगा।

वे दोंनो सोच विचार कर ही रहे थे तभी उनके दरवाजे पर किसी ने दस्तक दी। रमेश ने दरवाजा खोला। बाहर एक साधू और साध्वी खड़े थे।

Advertisements

रमेश ने उन्हें प्रणाम किया।

साधू: बालक हम दूसरे गॉव से आये हैं यदि तुम्हें कोई परेशानी न हो तो बारिश बंद होने तक तुम्हारे घर में रुक सकते हैं।

रमेश : बाबा आपका स्वागत है आपके आने से मेरा घर पवित्र हो गया।

दोंनो अन्दर आकर बैठ जाते हैं।

कविता पूजा करने के लिए शिवलिंग बना रही थी।

साधू: बेटी तुम शिवलिंग क्यों बना रही हों

Advertisements

कविता: बाबा आज हम दोंनो का उपवास है हम बारिश के कारण पूजा करने मन्दिर नहीं जा पाये इस लिए घर में शिवलिंग बना कर पूजा करना चाहते हैं।

साध्वी: लेकिन बेटा तुम्हारा तो पूरे घर में पानी टपक रहा है। फिर पूजा में ध्यान कैसे लगा सकोगे यहां तो बैठने की भी जगह नहीं है।

कविता: माताजी भगवान शिव आज हमारी परीक्षा ले रहे हैं। लेकिन हम आज उनकी पूजा पूरी अवश्य करेंगे।

Advertisements

कविता और रमेश पूजा करने बैठ जाते हैं।

पूजा करते समय जैसे ही रमेश शिवलिंग पर फल चढ़ाने के लिए हाथ आगे बढ़ाता है।

साधू: हमें बहुत भूख लगी है पहले हमें भोजन दो।

घर में कुछ नहीं था इसलिए रमेश वह फल साधू बाबा को दे देता है।

तभी कविता शिवलिंग पर दूध चढ़ाने लगती है।

साध्वी: मुझे भी बहुत भूख लगी है।

कविता: माता जी अब तो हमारे घर में कुछ खाने के लिए नहीं है ये भी आज खेत पर नहीं जा पाये आज मजदूरी मिलती तभी भोजन पकता।

साध्वी: कोई बात नहीं यह दूध हम दे दो।

कविता वह दूध उन्हें दे देती है।

Advertisements

साध्वी: अब हम रात्री में तुम्हारे घर विश्राम करेंगे। लेकिन यहां तो सोने की जगह नहीं है।

रमेश: आप चिन्ता न करें आप आराम करें हम यहीं दरवाजे के पास बैठ कर रात गुजार लेंगे।

रात को रमेश और कविता बातें करते हैं।

रमेश: आज तो भगवान भोलेनाथ की पूजा भी नहीं कर सके। उपवास कैसे पूरा होगा।

कविता: कोई बात नहीं हम कल उपवास पूरा करेंगे सुबह आप कुछ फल ले आईयेगा।

बातें करते करते दोंनो सो जाते हैं।

सुबह जब उनकी आंख खुलती है। तो वहां साधू और साध्वी नहीं थे। और वह मिट्टी का शिवलिंग सोने का बन चुका था। उनका पूरा घर बहुत सुन्दर बन गया था। एक कोने में अन्न धन के ढेर लगे थे। रमेश और कविता शिवलिंग के सामने बैठ कर रोने लगे।

रमेश: भगवान भोले नाथ और मॉं पार्वती स्वयं हमारे घर आये और हम उन्हें पहचान न सके।

कविता: भगवान हमें स्वयं दर्शन देने आये थे। इतनी बारिश में इतना कष्ट उठा कर।

Advertisements

दोंनो शिवलिंग के आगे नतमस्तक हो जाते हैं।

Advertisements