भाभी ने नन्द को बचाया (Bhabhi ki Kahani )
Hindi Moral Story : प्रिया सुबह से ही घर की साफ सफाई में लग गईं। उसने उठते ही पूरे घर की सफाई उसके बाद नहा कर पूजा की। बाकी सभी के उठने से पहले वो तैयार हो गई।
तभी उन्हें किसी की आहट सुनाई दी प्रिया समझ गई कि उनके पति रमेश उठ गये हैं। प्रिया ने फटाफट गैस पर चाय चढ़ा दी।
रमेश: प्रिया कहां हो चाय चाहिये थी।
प्रिया: जी बस अभी लाई।
रमेश: तुम्हें पता है न कि मुझे सुबह उठते ही चाय चाहिये।
प्रिया फटाफट चाय लेकर पहुंची।
प्रिया: आज तो आपकी छुट्टी है। आज घर में बहुत काम है इसलिये मैंने सुबह चाय नाश्ते में न लग कर फटा फट सारी सफाई कर डाली और नहा धो कर पूजा भी कर ली।
रमेश: ठीक है पर चाय तो कम से कम बना ही सकती थीं। चलो अब बताओ मार्किट से क्या लाना है।
प्रिया: जी अभी मांजी से पूछ कर आती हूं कि नाश्ते में क्या रखना है और खाने में क्या रहेगा।
प्रिया फटाफट चाय लेकर सुधा जी के कमरे में पहुंच गई जाते है उनके पैर छुए और कहा –
प्रिया: मांजी मेहमानों को नाश्ते में और खाने में क्या देना है। ये मार्किट जा रहे हैं तो मैं सामान मंगा लेती।
सुधा जी: बहु नाश्ते और खाने की पूरी लिस्ट मैंने कल रात को बना ली थी। यह रमेश को दे देना और हां तुम अपना काम खत्म करके रशमी के साथ ब्यूटी पार्लर चली जाओ। उसे ढंग से तैयार करा लाना।
प्रिया ने रमेश को भेज दिया उसके बाद वह रश्मी को जगाने गई।
प्रिया: उठो दीदी अभी तक सो रही हों लड़के वाले आते ही होंगे।
रशमी: क्या भाभी अभी तो बहुत टाईम है। वैसे भी ये नुमाइश मुझे बहुत बुरी लगती है।
प्रिया: यह तो हर लड़की को सहना ही पड़ता है। चलो फटाफट चाय पीकर तैयार हो जाओ ब्यूटी पार्लर जाना है।
दोपहर के समय लड़के वाले आ गये। लड़का इंजिनियर था। रमेश लड़के को पहले से जानता था। सुधा जी ने देख भाल कर हां कर दी थी।
सुधा जी किचन में गईं और प्रिया से पूछा –
सुधा जी: बहुत तुम्हें लड़का कैसा लगा?
प्रिया: मांजी वैसे तो सब ठीक है लेकिन इनका स्वभाव कुछ पसंद नहीं आ रहा है। आप ठीक से बात कर लीजियेगा, मेरा मतलब है दहेज वगैरा की क्या डिमांड है?
सुधा जी: बात तो रमेश ने पहले ही कर रखी है। ये कह रहे हैं कि कुछ नहीं चाहिये। जो चाहें अपनी लड़की को दे देना।
प्रिया: चलिये मांजी वहीं देखते हैं क्या बात हो रही है।
लड़के के पिता: जी आपकी लड़की हमें पसंद है। आप बताईये।
रमेश: हमें भी आपका लड़का पसंद है। हम शादी का मुर्हुत निकाल कर आपको खबर कर देंगे।
प्रिया: अंकल जी बुरा न मानें तो एक बात पूछें।
पिता: हां बेटा पूछ्यिे।
प्रिया: आपकी कोई डिमांड हो तो अभी बता दीजिये।
पिता: नहीं बेटा हमें कुछ नहीं चाहिये। बाकी आप समझदार हैं जो चाहें अपनी बेटी को दे दीजियेगा।
प्रिया: जी हम तो एक रुपये की शादी करना चाहते हैं।
रमेश: चुप रहो ये क्या बोल रही हों?
सुधा जी: बहु ये क्या कर रही हों सारी बनी बनाई बात बिगड़ जायेगी।
पिता: यह क्या मजाक है भला आज के जमाने में एक रुपये में शादी होती है कहीं।
प्रिया: यही तो मैं जानना चाहती हूं अंकल जी क्या चाहिये आपको?
रमेश खड़े होकर प्रिया को पकड़ कर अंदर ले जाता है।
रमेश: ये क्या बकवास कर रही हों?
प्रिया: तुम्हें नहीं पता आजकल ऐसे ही कहते हैं हमें कुछ नहीं चाहिये फिर धीरे धीरे इनकी डिमांड शुरू हो जायेगी। मेरी बात मानें तो यह रिश्ता मत कीजिये।
तभी सुधा जी अंदर आती हैं।
सुधा जी: रमेश इसे चुप कराओ बड़ी मुश्किल से एक रिश्ता मिला है उसे भी ये बर्बाद कर देगी।
रमेश उसेे डाट कर चुप रहने को कहता है।
रिश्ता पक्का हो जाता है। चार महीने बाद शादी का मुहुर्त निकलता है।
एक दिन रमेश सुबह काम पर जाने के लिये तैयार हो रहा था। तभी लड़के के पिता का फोन आ जाता है।
पिता: बेटा हम यह जानना चाह रहे हैं कि आप लोगों का क्या बजट है शादी का।
रमेश: जी आप चिंता न करें हम ठीक ठाक शादी कर देंगे।
पिता: नहीं मैं सोच रहा था दहेज में एक गाड़ी आप अपनी बहन को देते तो अच्छा रहता।
रमेश: लेकिन आपने तो पहले कहा था कि कुछ नहीं चाहिये।
पिता: वो तो सब कहते हैं। लेकिन कुछ तो तुमने भी सोचा होगा एक काम करो तुम अगर छोटी गाड़ी देना चाहते हो तो हम कुछ बाराती कम ले आयेंगे उससे जो पैसे बचें उससे बड़ी गाड़ी दे देना।
उनसे बात करने के बाद रमेश सारी बात मां को बताता है।
सुधा जी: शायद उस दिन प्रिया सही कह रही थी। इन्सान को पहचानने की अक्ल हमसे ज्यादा उसमें है। ठीक है यह पहली डिमांड है पूरी कर देंते हैं आगे से ध्यान रखेंगे।
लेकिन बात यहीं नहीं रुकी जैसे जैसे शादी का दिन नजदीक आता जा रहा था। उनकी डिमांड बढ़ती जा रही थी।
रमेश एक दिन घर पर बैठा था।
सुधा जी: बेटा क्या बात है लड़के वालों ने फिर कोई डिमांड रख दी।
रमेश: नहीं मां बात यह है कि हमने शादी का जो बजट तय किया था, शादी में उससे तीन गुना ज्यादा पैसा लग रहा है। मैंने कर्ज भी ले लिया लेकिन लड़के वाले ऐस बर्ताव कर रहे हैं। जैसे हम कोई बहुत बड़ी गलती कर रहे हैं।
प्रिया: मेरी बात मानिये। शादी के लिय अभी मना कर दीजिये। रश्मी के लिये बहुत अच्छे रिश्ते मिल जायेंगे। इन मुंह हमेशा फटता रहेगा।
लेकिन सुधा जी और रमेश बदनामी के डर से लड़के वालों की हर डिमांड पूरी करते रहे।
शादी के दिन सभी बहुत खुश थे। जैसे ही बारात आई सबने बारात का स्वागत किया। रमेश बहुत डरा हुआ था कि कहीं विदा से पहले एक और नई डिमांड न निकल आये।
लड़का लड़की फेरों के लिये बैठने ही जा रहे थे, कि लड़के के पिता ने कहा ा-
पिता: रमेश वो गाड़ी कहीं नजर नहीं आ रही।
रमेश: जी वो आज डिलीवर नहीं हो पाई आप ये पेपर रख लीजिये गाड़ी सीधी आपके घर पहुंच जायेगी।
पिता: यह शादी रोक दो इस शादी में सबसे बड़ी आईटम ही गायब है।
रमेश: अंकल जी मैं आपके पैर पड़ता हूं ये पेपर रख लीजिये कल सुबह गाड़ी में आपके घर पहुंचा दूंगा।
पिता: नहीं ऐसा नहीं हो सकता।
सुधा जी और रशमी रो रही थीं। इधर रमेश परेशान था कि क्या करे।
तभी प्रिया सामने आई
प्रिया: अंकल जी गाड़ी आ गई वो देखिये।
तभी सामने पुलिस की गाड़ी आकर रुकी उसे देख कर लड़के के पिता डर गये।
पिता: कोई बात नहीं घर की बात है गाड़ी कल भेज देना।
प्रिया: नहीं अब यह शादी नहीं हाोगी।
रमेश: प्रिया तुम सही कह रही थीं। ये लालची लोग कल मेरी बहन को मार देते।
पुलिस ने दहेज के इल्जाम में बाप बेटे को अरेस्ट कर लिया।
इस तरह एक भाभी ने अपनी नन्द को बचा लिया।
Hindi Moral Story – नन्द और भाभी की लड़ाई
अमित और कविता भाई बहन थे। कविता बड़ी थी। अमित छोटा था। दोंनो के माता पिता का स्वर्गवास हो चुका था। कविता एक आफिस में काम करती थी उसका भाई अमित कालेज में पढ़ता था।
एक दिन अमित ने कविता से कहा ‘‘दीदी मुझे कॉलेज की फीस देनी है मुझे कुछ रूपये चाहिये’’
कविता ने कहा ‘‘अभी तो मेरे पास पैसे नहीं हैं कल तक मैं तुझे पैसे दे दूंगी’’
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कविता आफिस से एडवांस मांग कर अमित को पैसे देती है। वह अपने भाई को अफसर बनाना चाहती थी। इसलिए वह दिन में आफिस में काम करती थी। और शाम एक घर में काम करती थी।
कुछ दिन बाद अमित की पढ़ाई पूरी हो गई एक दिन अमित ने घर आकर कविता को बताया ‘‘दीदी मुझे बहुत बड़ी कंपनी में मैंनेजर की नौकरी मिल गई अब तुम काम करने नहीं जाओंगी’’ यह कहकर वह जिद करने लगा हार कर कविता मान गई और उसने काम करना छोड़ दिया अब वह केवल घर संभालती थी।
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ऐसे ही समय बीत रहा था एक दिन अमित ने कहा ‘‘दीदी मैंने कुछ रूपये जोड़ लिये हैं अब मैं आपकी शादी करना चाहता हूं।’’
यह सुनकर कविता ने कहा ‘‘नहीं भाई पहले मैं तेरी शादी करूंगी जब घर संभालने वाली आ जायेगी तो मैं भी शादी कर लूंगी।
कविता ने एक अच्छी सी लड़की देख कर अमित की शादी कर दी। अल्का को भाभी के रूप में पाकर कविता बहुत खुश हो रही थी। धीरे धीरे अल्का ने पूरा घर संभाल लिया। तीनों बहुत खुशी से रह रहे थे।
एक दिन अल्का की मॉं अल्का से मिलने आई। उन्हें कविता शुरू से ही पसंद नहीं थी। मौका पाकर उसने अल्का से कहा ‘‘तेरी नन्द शादी नहीं करना चाहती है यह तो जीवन भर तेरे पति की कमाई पर ऐश करना चाहती है। तू बहुत सीधी है।’’
यह सुनकर कर अल्का ने कहा ‘‘मॉं तुम बेकार की बात कर रहीं हो अमित इनके लिए लड़का देख रहे हैं। जैसे ही मिल जायेगा शादी हो जायेगी।’’
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लेकिन अल्का की मॉं ने कहा ‘‘बेटी तू नहीं समझेगी यह तेरे को कभी चैन से रहने नहीं देगी’’
अगले दिन अमित ने कविता से कहा ‘‘दीदी मैंने आपके लिए लड़का देखा है आप कहें तो बात आगे बढ़ाई जाये’’
लेकिन कविता ने कहा ‘‘नहीं भाई मैं अभी शादी नहीं करना चाहती जब करनी होगी आपको बता दूंगी’’
यह सुनकर अमित और अल्का को आश्चर्य हुआ। अल्का के दिमाग में मॉं की बातें गूंजने लगीं। उसके बाद अल्का का व्यवहार कविता के लिए बदल गया वह अमित को सामने कुछ नहीं कहती। लेकिन अमित के जाने के बाद कविता से छोटी छोटी बात पर लड़ती रहती।
एक दिन कविता कहीं गई थी अकेले में अल्का ने अमित से कहा ‘‘दीदी शादी क्यों नहीं करना चाहती। कहीं ऐसा तो नहीं तुम्हारी बहन हमेशा हमारे उपर बोझ बन कर बैठी रहें।’’
यह सुन कर अमित को बहुत गुस्सा आया उसने कहा ‘‘खबरदार मेरी दीदी के बारे में कुछ कहा तो वे जो चाहेंगी वही होगा तुम्हें पता उन्होंने अपना पूरा जीवन मुझे बड़ा आदमी बनाने में लगा दिया।’’
अल्का को समझ आ गया कि अमित उसकी बात कभी नहीं सुनेगा उसने अपनी नन्द को रास्ते से हटाने के लिए एक तरकीब सोची।
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एक दिन अल्का ने कविता से कहा ‘‘दीदी काफी दिनों से मैं कहीं बाहर नहीं गई हूं कल हम मन्दिर चलते हैं।’’ यह सुनकर कविता बहुत खुश हुई
अगले दिन दोंनो मन्दिर में पहुंच जाती हैं। मन्दिर में पूजा करने के बाद अल्का कविता को प्रसाद देती है। उसने प्रसाद में कुछ मिला रखा था। प्रसाद खाकर कविता बेहोश हो जाती है। अल्का उसे छोड़ कर घर वापस आ जाती है। उसे लगता है जहर मिले प्रसाद से कुछ देर में कविता मर जायेगी।
कुछ देर बाद कविता को होश आता है लेकिन वह अपनी पिछली जिन्दगी भूल गई। वह मन्दिर मैं बैठ कर रोने लगती है।
शाम को जब अमित घर वापस आकर अल्का से कविता के बारे में पूछता है तो अल्का कहती है ‘‘दीदी तीर्थ यात्रा पर गई हैं। कुछ दिनों में वापस आ जायेगीं’’
तब अमित कहता है ‘‘दीदी मुझे बगैर बताये अचानक कैसे चली गई’’ वह परेशान हो जाता है लेकिन अल्का उसे समझा कर शान्त कर देती है।
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इधर कविता को उसी मन्दिर के पुजारी मन्दिर में स्थान दे देते हैं। वह दिनरात मन्दिर में सेवा करने लगती है। मन्दिर के सभी भक्त और पुजारी कविता का बहुत ध्यान रखते थे। ऐसे ही समय बीत रहा था। लेकिन कविता को पिछला कुछ याद नहीं आ रहा था।
काफी दिन बीत जाने पर अमित कविता को ढूंढने निकल गया। वह कविता को ढूंढता रहा लेकिन कविता कहीं नहीं मिली। एक दिन वह थक कर उसी मन्दिर में एक पेड़ के नीचे बैठा था। तभी वहां कविता आई उसने कहा ‘‘भैया मन्दिर में भण्डारा शुरू हो रहा आप भी बैठ कर भोजन कर लीजिये’’
कविता की आवज सुनकर अमित चौंक गया। कविता को देख कर वह रोने लगा। तब कविता ने कहा भैया आप क्यों रो रहे हो। तभी वहां पुजारी बाबा आ गये उन्होंने अमित से पूछा तो अमित कविता के बारे में बताया।
पुजारी बाबा ने कहा ‘‘ये लड़की यहां बेहोश मिली थी। होश आया तो इसे कुछ याद नहीं था। अच्छा हुआ तुम मिल गये इसे अपने घर ले जाओ भगवान ने चाहा तो वहां जाकर इसकी यादाशत वापस आ जायेगी।
अमित ने कविता को चलने के लिए कहा तो वह रोने लगी और जाने से मना कर दिया लेकिन अमित जिद कर रहा था। तब कविता ने कहा ‘‘भाई मुझे सब कुछ याद है। लेकिन मैंने जानबूछ कर नाटक किया ताकि तुम और भाभी मेरे बिना खुश रह सको भाभी को मेरा घर में रहना पसंद नहीं इसलिए अब मैं उस घर में नहीं जाना चाहती।’’
यह सुनकर अमित रोने लगा और कविता से बोला ‘‘दीदी अगर आप घर नहीं चलोंगी तो मैं भी यहीं रहूंगा।’’ उसकी बातें सुनकर कविता घर आने के लिए तैयार हो गई लेकिन उसने अमित से कहा ‘‘मेरी एक शर्त है तुम भाभी पर गुस्स नहीं करोगे’’
अमित मान गया और कविता को लेकर घर आ गया। कविता को देखकर अल्का सहम गई वह रोने लगी और उसने अमित और कविता से माफी मांगी। कविता के कहने पर अमित ने उसे माफ कर दिया।
कुछ दिन बाद कविता ने शादी कर ली और अपने ससुराल विदा हो गई
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