Dharmik Story in Hindi – माँ लक्ष्मी और गरीब दर्जी बहु : एक गॉव में सपना अपने पति रामचन्द्र के साथ रहती थी।
सपना की सास कलावती बहुत तेज थी। उसे सपना पसंद नहीं थी। एक दिन कलावती ने रामचन्द्र से कहा
कलावती: बेटा तेरी बहु दिन भर केवल घर का काम करती है। इससे कह यह भी कुछ काम करे जिससे पैसा आये। तू अकेला कितनी मेहनत करेगा।
रामचन्द्र: मॉं यहां गॉव में क्या काम मिलेगा। वैसे भी मैं इतना कमा लेता हूं कि तुम दोंनो को कुछ करने की आवश्यकता नहीं है।
यह सुनकर कलावती गुस्सा हो जाती है।
कलावती की यह बात सपना सुन लेती है। अगले दिन जब रामचन्द्र अपने काम पर चला जाता है। तो सपना अपनी सास से बात करती है।
सपना: मांजी मैं भी काम करना चाहती हूं आप एक काम कीजिये आस पड़ोस की औरत से कह दीजिये कि मैं सिलाई बहुत अच्छी करती हूं जिसे भी कपड़े सिलवाने हों मेरे से सिलवा ले।
कलावती सारे गॉव में कह देती है। धीरे धीरे घर पर सिलाई का काम आने लगा जितना भी काम आता था। कलावती उसमें से चुपचाप आधे से ज्यादा पैसे खुद रख लेती थी और थोड़े से पैसे बहु को दे देती थी।
सपना: मांजी इन कपड़ों को सीकर तो कुछ भी नहीं बचता गॉव वाले हमें नया जान कर कम पैसे देते हैं। जितने पैसे आते हैं वे तो इन्हीं कपड़ों को सीने में खर्च हो जाते हैं।
सपना यह नहीं जानती थी कि उसकी सास बहुत ज्यादा पैसे रख कर उसे थोड़े से पैसे देती थी।
कलावती: ठीक है तू काम तो कर नये नये काम में नुकसान उठाना पड़ता है बाद में देखेंगे।
सपना मॉं लक्ष्मी की भक्त थी वह दिन भर मेहनत से काम करती और रात में मॉं लक्ष्मी की भक्ति करती थी।
एक दिन सपना रात को मॉं लक्ष्मी का ध्यान कर बैठी थी। तभी उसकी आंखों से आंसू बहने लगे। उसने मॉं लक्ष्मी से कहा
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सपना: मॉं मैं और मेरे पति दिनरात इतनी मेहनत करते हैं। फिर भी हमेशा हम परेशान रहते हैं। आप ही बताओ क्या करें।
इसी तरह बातें करते करते सपना सो जाती है और अगले दिन उठ कर अपने काम में लग जाती है।
अगले दिन जब सपना सिलाई कर रही थी। तभी एक छोटी सी लड़की उसके पास आती है।
लड़की: क्या आप मेरे कपड़े सिल देंगी। मेरे पास पैसे नहीं हैं।
कलावती: ऐ लड़की पहले पैसे लेकर आ फिर बात करना।
सपना: कोई बात नहीं मांजी मैं खाली समय में सिल दूंगी। कितनी प्यारी बच्ची है इसे मना मत कीजिये।
कलावती: काम का नुकसान नहीं होना चाहिये। रात को जब तू पूजा करती है तब सिलना इसके कपड़े
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कलावती रात को बैठ कर कपड़े सिल देती है अगले दिन जब वह लड़की आती है।
लड़की: आपने तो बहुत सुन्दर कपड़े सिले हैं। मेरे पास आपको देने के लिये पैसे तो नहीं हैं लेकिन यह मिट्टी का घड़ा है। इसे आप रख लीजिये। इसे संभाल कर रखना और आप के पास जितने भी पैसे आयें उसमें से कुछ इसमें रख देना।
सपना वैसे ही करने लगी उसके पास जितने भी पैसे बचते उसमें से कुछ वह घड़े में डाल देती थी।
एक दिन सपना रात के समय सिलाई कर रही थी। तब कलावती ने कहा
कलावती: बहु रात को क्या कर रही है
सपना: मांजी लक्ष्मी जी के लिये चुनरी बना रही हूं कल मन्दिर में चढ़ाने जाउंगी।
अगले दिन सपना चुनरी लेकर मन्दिर की ओर चल देती है रास्ते में उसे वही लड़की मिलती है।
लड़की: अरे यह तो बहुत अच्छी चुनरी है आप मेरे लिये लाई हों क्या
सपना: नहीं बेटी ये तो मैं मॉं लक्ष्मी के लिये लाई हूं तुम्हारे लिये ऐसी ही बना दूंगी
लड़की: नहीं मुझे तो यही चाहिये आप यह मुझे दे दीजिये समझ लेना मॉं लक्ष्मी को दे दी।
सपना के बहुत समझाने पर भी वह नहीं मानी और सपना से चुनरी लेकर चली गई सपना मन्दिर में पूजा करके वापस आ गई
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शाम को उसने उस घड़े में कुछ पैसे डाले तो घड़े में से आवाज नहीं आई।
सपना: मांजी घड़े में मैं जब भी सिक्के डालती थी घड़े से सिक्कों की आवाज आती थी आज आवाज नहीं आई
कलावती: देखले कोई सिक्के निकाल कर तो नहीं ले गया।
सपना ने घड़ा खोला तो देखा घड़ा सोने के सिक्कों से भरा है। उसे विश्वास नहीं हुआ वह मॉं लक्ष्मी के सामने बैठ गई
सपना: मॉं यह क्या चमत्कार है इसमें तो थोड़े से सिक्के थे फिर इतना धन कहां से आया।
तभी सपना ने देखा मॉं लक्ष्मी की मूर्ति में वही लड़की चुनरी ओढ़े दिखाई दी।
सपना रोने लगी उसने कहा
सपना: मॉं आप स्वयं मेरे घर आई और मैं आपको पहचान न सकी मुझे माफ कर दीजिये इसके बाद सपना उसक सास कलावती और रामचन्द्र तीनो मॉं लक्ष्मी की दिनरात पूजा करने लगे सपना का सिलाई का काम अच्छा चलने लगा।
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