नन्ही चिड़िया की उड़ान – Short Story for Kids in Hindi : एक चिड़िया ने दुनिया में जब आंखें खोली तो पाया कि वह अपनी मॉं के पास है उसकी मॉं हर दिन उसे दाना लाकर खिलाती थी। एक दिन उसकी मॉं ने कहा
चिड़िया: अब तुम्हें अपने पंख हिलाने चाहिये जिससे तुम उड़ना सीख सको मैं हमेंशा तुम्हें दाना लाकर नहीं दे सकती हूं तुम्हें खुद ही अपने लिये दाना लाना होगा।
नन्ही चिड़िया: लेकिन मॉं मुझे डर लगता है। मैं उड़ूंगी तो गिर जाउंगी।
चिड़िया: नही बेटी भगवान ने हमें पंख उड़ने के लिये दिये हैं वे हमें कभी भी गिरने नहीं देंगे।
नन्ही चिड़िया ने मॉं की बात को अनसुना कर दिया और खेल में लग गई।
इसी तरह समय बीत रहा था।
एक दिन चिड़िया गुस्से में अपने घोसले में आई।
चिड़िया: तुम्हें मैंने समझाया था कि उड़ना सीख लो लेकिन तुम्हारी समझ में नहीं आया अब तुम कल से मेरे साथ दाना लेने चलना।
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नन्ही चिड़िया ने बहाना बनाते हुए कहा
नन्ही चिड़िया: मॉं मेरे पैरो में बहुत दर्द है। मैं दाना चुगने नहीं जा सकती कुछ दिन बात चलूंगी।
चिड़िया: तेरी यह टालमटोल की आदत एक दिन तुझे बहुत मंहगी पड़ेगी।
इसी तरह कुछ दिन और बीत जाते हैं।
एक दिन नन्ही चिड़िया अपनी मॉं का इंतजार कर रही थी। तभी वहां एक कौवा आ गया।
कौवा: चिड़िया रानी तुम्हारी मॉं को तो एक शिकारी पकड़ कर अपने पिंजरे में बंद करके ले गया है। वह अब कभी नहीं आयेगी।
यह सुनकर नन्ही चिड़िया रोने लगी वह भूखी भी थी रोते रोते सो गई शाम को जब उसकी आंख खुली तो चारों ओर अंधेरा होने वाला था अब उसे और डर लगने लगा इधर भूख से बुरा हाल था।
रात को डरते डरते एक जगह छिप कर बैठी रही। सुबह उसने देखा आस पास के सारे पक्षी दाना लेने जा रहे हैं। यह देख कर उसने सोचा अब तो कोई चारा नहीं है अगर दाना लेने नहीं गई तो भूखी मर जाउंगी।
नन्ही चिड़िया ने उड़ने की कोशिश की लेकिन वह जैसे ही उड़ने के लिये आगे बड़ी नीचे गिरने लगी गिरते गिरते अपनी जान बचाने के लिये उसने पंख चलाने शुरू किये पंख चलाते चलाते वह उड़ने लगी।
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नन्ही चिड़िया अन्य पक्षियों के पीछे पीछे उड़ने लगी उड़ते उड़ते वह जहां सभी दाना चुग रहे थे वहां पहुंच गई उसने भर पेट दाना चुगा और कुछ दाने अपने मुंह में भर कर अपने घोसले में आ गई।
वहां आकर उसने देखा उसकी मॉं मुस्कुरा रही है।
नन्ही चिड़िया: मॉं तुम ठीक हो उस शिकारी ने तुम्हें छोड़ दिया।
चिड़िया: नहीं बेटा मैंने तुम्हारे पास झूठी खबर पहुंचाई थी। मैं तो यहीं पास के पेड़ पर छिप कर बैठी थी।
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नन्ही चिड़िया रोने लगी चिड़िया ने उसे चुप कराया और कहा
चिड़िया: बेटी हमेशा अपने काम स्वयं करने चाहिये। किसी के भरोसे नहीं बैठे रहना चाहिये आज एक ही दिन में तुमने अच्छे से उड़ना सीख लिया। क्योंकि तुम्हारा साथ देने वाला कोई नहीं था। यह सबक याद रखना
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