मकर संक्रांति में तिल-गुड़ खाने और पतंग उड़ाने का वैज्ञानिक कारण जान कर हैरान रह जायेंगे

Happy Makar Sankaranti 2024

भारत को त्योहारों का देश कहा जाता है। त्योहारों की बात हो और मिठाई न हो ऐसा तो हो नहीं सकता। हर त्योहार पर विशेष पकवान् बनाने व खाने की परम्पराएं भी हमारे यहां प्रचलित हैं।

मकर संक्रांति 2024 किस दिन मनाई जायगी?

15 जनवरी 2024

मकर संक्रान्ति शुभ मुहूर्त सुबह 06:41 से शाम 06:22 तक
मकर संक्रान्ति महा पुण्य कालसुबह 06:41 से सुबह 08:38 तक
Makar Sankaranti 2024 Date

मकर संक्रांति के अवसर पर विशेष रूप से तिल व गुड़ के पकवान् बनाने व खाने की परम्परा है। कहीं तिल व गुड़ के स्वादिष्ट लड्डू बनाए जाते हैं तो कहीं चक्की बनाकर गुड़ का सेवन किया जाता है। तिल व गुड़ की गजक भी लोगों को खूब भाती है। मकर संक्रांति के पर्व पर तिल व गुड़ का सेवन करने के पीछे भी वैज्ञानिक आधार है।

सर्दी के मौसम में जब शरीर को गर्मी की आवश्यकता होती है तब तिल व गुड़ के व्यंजन यह काम बखूबी करते हैं। तिल में तेल की प्रचुरता रहती है जिसका सेवन करने से हमारे शरीर में पर्याप्त मात्रा में तेल पहुँचता है, जो हमारे शरीर को गर्माहट देती है।

इसी प्रकार गुड़ की तासीर भी गर्म होती है। तिल व गुड़ को मिलाकर जो व्यंजन बनाए जाते हैं। वह सर्दी के मौसम में हमारे शरीर में आवश्यक गर्मी पहुँचाते हैं। यही कारण है कि मकर संक्रांति के अवसर पर तिल व गुड़ के व्यंजन प्रमुखता से खाए जाते हैं।

मकर संक्रांति में पतंग उड़ाने का वैज्ञानिक महत्त्व

मकर संक्रांति की याद आते ही लोगों के मन में सहज ही पतंग उड़ाने की याद ताजा हो जाती है। इस त्योहार के साथ पतंगबाजी की परम्परा भी जुड़ गई है। लोग दिनभर अपनी छतों पर पतंग उड़ाकर इस उत्सव का मजा लेते हैं। अनेक स्थानों पर विशेष रूप से पतंग उड़ाने की प्रतियोगिताएं भी आयोजित की जाती हैं।

मकर संक्रांति पर्व पर पतंग उड़ाने के पीछे कोई धार्मिक कारण नहीं अपितु मनोवैज्ञानिक पक्ष है। पौषमास की सर्दी के कारण हमारा शरीर कई बिमारियों से ग्रसित हो जाता है, जिसका हमें पता ही नहीं चलता। इस मौसम में त्वचा भी रुखी हो जाती है।

जब सूर्य उत्तरायण में होता है, तब इसकी किरणें हमारे शरीर के लिए औषधि का काम करती हैं। पतंग उड़ाते समय हमारा शरीर सीधे सूर्य की किरणों के संपर्क में आ जाता है, जिससे अनेक शारीरिक रोग स्वतः ही नष्ट हो जाते हैं।