कंजूस औरत और कृष्ण जी | Story in Hindi

Story in Hindi
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साहिल और सपना एक शहर में एक छोटे से घर में रहते थे। साहिल की मॉं  शन्ति भी उनके साथ रहती थीं। शन्ति जी सुबह जल्दि उठकर तैयार हो जाती और घर में पूजा करती थीं उसके बाद वे मन्दिर चली जाती थीं।

एक दिन शान्ति जी पूजा करके मन्दिर गई सपना किचन में काम कर रही थी। तभी साहिल वहां आ जाता है।

साहिल: सपना जल्दि से एक कप चाय बना दो मुझे आफिस जाने में देर हो रही है।

सपना: हॉं अभी बना देती हूं मैं आपसे एक बात कहना चाह रही हूं। मांजी सुबह घर में पूजा करती हैं उसके बाद मन्दिर जाती हैं। वहां हर दिन कृष्ण जी को माखन मिश्री का भोग लगाती हैं। इस मंहगाई में यह सब ठीक नहीं है।

साहिल: कोई बात नहीं मॉं तो पिताजी के सामने भी ऐसे ही भोग लगाती थीं अब उन्हें मना करूंगा तो बुरा मान जायेंगी।

इसी तरह समय बीत रहा था लेकिन सपना को हमेशा यह बात खटकती थी कि उसके पति की कमाई से माखन मिश्री का भोग मन्दिर में लगाया जाता है।

एक दिन उसने शान्ति जी को समझाते हुए कहा

मांजी आप हर दिन मन्दिर में इतना सारा माखन मिश्री बांट आती हैं इसकी क्या जरूरत है वैसे भी अब मंहगाई काफी बढ़ गई है। आपको सोचना चाहिये।

शान्ति जी: बहु ये तुम क्या कह रही हों तुम इतना पैसा इधर उधर खर्च करते हो रोज 300 रुपये का पीज्जा मंगाते हो उसमें फिजूल खर्ची नहीं होती क्या मेरे कान्हा के भोग से तुम्हें तकलीफ हो रही है। उन्हीं की कृपा से इस घर में सब चल रहा यह मत भूलो।

सपना उनकी बात सुनकर चुप होे जाती है।

एक दिन सपना की एक सहेली उससे मिलने आती है।

सपना: अरे प्रिया इतने दिनों बाद मेरी याद आई तुझे।

प्रिया: हां बहुत दिन हो गये थे तुझसे मिले इसलिये चली आई तेरी सास कहां है।

सपना: मांजी तो मन्दिर गई हैं। उनका बस चले तो मन्दिर में ही पूरा घर लुटा दें।

प्रिया: ऐसी क्या बात है।

सपना प्रिया को सारी बात बता देती है।

प्रिया: बस इतनी सी बात इसका एक उपाय है मेरे पास। तुझे मैं एक दुकान बताती हूं वहां से मक्खन ले आ इस मक्खन के मुकाबले वह नकली मक्खन आधे पैसों में आ जायेगा। एक तो तेरा खर्च आधा हो जायेगा और वह मक्खन मन्दिर में किसी को पसंद नहीं आयेगा धीरे धीरे तेरी सास मक्खन का प्रसाद बांटना बंद कर देगी।

सपना अगले दिन मक्खन को नकली मक्खन से बदल देती है।

दो दिन बाद साहिल शाम के समय घर में बैठा था तभी उनके पास मन्दिर के पुजारी जी आते हैं।

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शान्ति: आईये पुजारी जी कैसे आना हुआ।

पुजारी जी: मांजी आप यह मक्खन मिश्री का प्रसाद बांटना बंद कर दिजिये आपके मक्खन के प्रसाद को खाकर मन्दिर के कई भक्त बीमार पड़ गये।

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साहिल: लेकिन पुजारी जी ऐसा कैसे हो सकता है हम तो शुद्ध ताजा मक्खन लाते हैं। वही हम घर में इस्तेमाल करते हैं यदि ऐसा होता तो हम भी बीमार पड़ जाते।

पुजारी जी: वह सब मुझे नहीं पता बस आप कल से मक्खन का भोग नहीं लगायेंगी।

शान्ति जी: पुजारी जी ऐसा मत कीजिये मेरा वर्षों का नियम टूट जायेगा।

साहिल: पुजारी जी अगर ऐसी बात है तो मैं दूसरी दुकान से मक्खन ला देता हूं मेरी मॉं शुरू से माखन मिश्री का भोग लगा रही हैं।

पुजारी जी: भोग लगाना है तो घर में लगाईये। मन्दिर में अब भोग नहीं लगेगा।

उनके जाने के बाद शान्ति जी रोने लगती हैं।  अगले दिन से वे मन्दिर में केवल दर्शन करती और भोग घर में लगा लेती थीं।

एक दिन शान्ति जी मन्दिर गई हुई थीं सपना भी घर पर नहीं थी। कुछ देर बाद सपना घर आई तो उसने देखा साहिल की तबियत बहुत खराब है।

सपना साहिल को अस्पताल ले गई और भर्ती करा दिया।

डॉक्टर : आपको पता है इन्होंने नकली मक्खन खाया है जो जहर की तरह इनके पेट में पहुंच गया है।

शान्ति जी: डॉ. साहब लगता है मक्खन में ही मिलावट होगी। मन्दिर के पुजारी जी भी यही कह रहे थे आप किसी तरह मेरे बेटे को बचा लीजिये।

यह सब देख कर सपना रोने लगी।

सपना: मांजी यह सब मेरी कंजूसी के कारण हुआ है कुछ पैसे बचाने के चक्कर में मैंने मक्खन बदल दिया था लगता है इन्होंने वही नकली मक्खन खा लिया।

शान्ति जी: माफी मांगनी है तो जाकर कन्हा जी से मांग जिनके भोग में मिलावट कर तूने अपने पति की जान को खतरे में डाल दिया।

सपना मन्दिर पहुंच जाती है तो वहां कृष्ण जी के सामने रो रो कर माफी मांगने लगती है उसकी बात सुनकर पुजारी जी कहते हैं।

बेटी तूने अच्छा नहीं किया मैंने बेकार तेरी सीधी सादी सास को भोग लगाने से मना कर दिया।

सपना: पुजारी जी मुझे माफ कर दीजिये मैं स्वयं कान्हा जी को भोग लगाउंगी बस एक बाद मेरे पति को ठीक कर दीजिये

कुछ देर प्रार्थना करके सपना अस्पताल पहुंच जाती है। वहां जाकर देखती है साहिल बिल्कुल ठीक हो जाता है। तीनों वहां से सीधे कृष्ण जी के मन्दिर जाते हैं और अगले दिन से तीनों सुबह मन्दिर में माखन मिश्री का भोग लगाते हैं।

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Anil Sharma is a Hindi blog writer at kathaamrit.com, a website that showcases his passion for storytelling. He also shares his views and opinions on current affairs, relations, festivals, and culture.