Bedtime Stories For Kids In Hindi : एक जंगल में एक कौआ रहता था। जब वह बड़ा हुआ तो उसे एक हिरण जंगल में घास खाता हुआ दिखाई दिया। कौआ बहुत समझदार था। वह पेड़ पर बैठ कर हिरण से बातें करने लगा।
कौआ: कैसे हो हिरण भाई?
हिरण: मैं तो ठीक हूं लेकिन तुम क्यों पूछ रहे हो?
कौआ: मैं बहुत दिनों से तुम्हें यहां आते देख रहा हूं। तुम मुझे बहुत अच्छे लगते हो क्या तुम मुझसे दोस्ती करोगे।
हिरण: हां क्यों नहीं मैं तुमसे अवश्य दोस्ती करूंगा। आजाओ मेरी पीठ पर बैठ जाओ, मैं तुम्हें घुमाने लग जाता हूं।
कौआ हिरण की पीठ पर बैठ जाता है। हिरण तेजी से दौड़ने लगता है। कौए को बहुत मजा आता है।
कौआ: भाई मुझे उड़ने में मजा आता था लेकिन जमीन पर दौड़ने का अलग ही मजा है।
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उस दिन से हिरण कौऐ को दिन भर अपनी पीठ पर बैठा कर दौड़ता रहता था।
उसके बाद दोंनो उसी पेड़ के नीचे आकर बैठ जाते। शाम के समय हिरण अपने झुंड में वापस चला जाता।
एक दिन जब हिरण झुंड में वापस जा रहा था, तो एक सियार उसे देखता है। सियार के मुंह में पानी आ जाता है।
सियारा: (मन ही मन) अगर ये हिरण मुझे खाने को मिल जाये तो मेरा पूरा परिवार कई दिन तक इसे खाता रहेगा, और मुझे किसी दूसरे जानवर की भी जरूरत नहीं पड़ेगी। लेकिन इसे पकड़ूं कैसे। यह तो बहत तेज है तेजी से भाग जायेगा।
अगले दिन सियार एक योजना बनाता है कि किसी तरह इस हिरण से दोस्ती की जाये।
अगले दिन हिरण जब कौए से मिलने जा रहा था रास्ते में उसे सियार ने रोका पहले तो हिरण डर गया।
सियार: डरो नहीं भाई मैं तो तुमसे दोस्ती करना चाह रहा था।
हिरण: नहीं भाई हमारी तुम्हारी कभी दोस्ती नहीं हो सकती। तुम हमारे शत्रु हो तुम हमारे भक्षक हो। मौका मिलते ही तुम मुझे अपना शिकार बना लोगे।
सियार: नहीं भाई मैं वैसा नहीं हूं मैं तुम्हारे साथ कभी विश्वासघात नहीं करूंगा। मेरा विश्वास करो।
चलते चलते सियार और हिरण दोंनो कौए के पास पहुंच जाते हैं।
कौआ: अरे भाई आज ये साथ में किसे ले आये।
हिरण: ये सियार मुझसे दोस्ती करना चाहता है।
कौआ: भला शत्रु से भी कभी दोस्ती हो सकती है। ऐसी गलती कभी मत करना।
हिरण: कौए की बात मान कर सियार को मना कर देता है।
सियार: भाई मैं तो केवल तुमसे दोस्ती कर रहा था मैं और सियारों जैसा नहीं हूं इसीलिये उन्होंने मुझे अपने झुंड से निकाल दिया है। अब तो मुझे जीवन भर अकेला ही रहना पड़ेगा। इस संसार में मेरा कोई नहीं है।
हिरण: अगर ऐसा है तो मैं तुम से दोस्ती कर लेता हूं।
यह सुनकर सियार बहुत खुश हुआ।
इस तरह तीनों मजे से रहने लगे।
एक दिन सियार ने हिरण से कहा –
सियार: भाई क्या यह सूखी घास खाते रहते हो मेरे साथ चलो यहां पास ही में नई ताजी फसल के खेत हैं। वहां मजे से खाने को मिलेगा।
हिरण: नहीं भाई यहीं ठीक है। अभी कुछ दिनों में नई हरी घास आ जायेगी।
सियार: अरे तब वापस आ जाना मैं भी वापस आ जाउंगा।
हिरण सियार की बातों में आकर उसके साथ चल देता है।
कौआ: हिरण भाई जितना मिल रहा है उतने में सब्र करो कहीं और मत जाओ।
लेकिन हिरण नहीं मानता और सियार के साथ चल देता है।
वहां से बहुत दूर जाने पर लहलहाते खेत नजर आते हैं।
सियार: देखा भाई मैंने कहा था न कि मजा आ जायेगा अब यहां मजे से खाओ।
हिरण जल्दी से खेत में खाने पहुंच जाता है। कुछ ही देर में उसका पेट भर जाता है। पूरा दिन खेत में घास खाकर हिरण सियार के संग वापस कौए के पास आ जाता है।
इसी तरह कई दिन तक खेत में खाता रहता है। इधर खेत का मालिक किसान बहुत परेशान हो जाता है। एक दिन वह खेत में जाल बिछा देता है।
हिरण जैसे ही घास खाने जाता है जाल में फस जाता है।
हिरण: अरे सियार भाई मुझे बचाओ मैं फस गया।
कुछ देर आवाज देने पर सियार वहां आ पहुंचता है। हिरण को फसा देख कर सोचता है अब यह यहां से भाग तो पायेगा नहीं। रात को इस पर हमला कर दूंगा जब घायल हो जायेगा तो जाल काट कर इसे घर ले जाउंगा आज तो मेरे बच्चों को इसे खाने में मजा आ जायेगा।
कुछ देर में सियार हिरण के पास पहुंच जाता है।
सियार: हरे हिरण भाई यहां जाल में कैसे फस गये?
हिरण: अरे अब बातें मत करो जल्दी से ये जाल काट दो कहीं खेत का मालिक आ गया तो मुझे मार डालेगा।
सियार: लेकिन भाई मैंने तो बहुत दिनों से कोई शिकार नहीं किया मेरे दांत पैने नहीं हैं। मैं अभी जाता हूं दांतो को पत्थर पर घिस कर पैना कर लेता हूं फिर सुबह आकर तुम्हें बचा कर ले जाउंगा।
यह सुनकर हिरण को बहुत गुस्सा आता है और सियार वहां से कुछ दूर जाकर एक झाड़ी के पीछे छिप कर तमाशा देखने लगता है।
इधर कौआ जब देखता है शाम होने को है हिरण वापस नहीं आया तो वह उसे देखने पहुंच जाता है। उसे जाल में फसा देख कर कौआ उसके पास पहुंच जाता है।
कौआ: हिरण भाई मैंने मना किया था यहां आने को और वो तुम्हारा दोस्त कहां है।
हिरण: नाम न लो उसका वह तो बहाना बना कर चला गया। तुम यह जाल काट दो।
कौआ: भाई मेरी चोंच से यह जाल नहीं कटेगा। तुम एक काम करो यहां ऐसे सांस रोक कर पड़ जाओ जैसे मर गये हो। पेट को बाहर तक फुला लो और जब मैं शोर मचाउं तब भाग लेना।
हिरण ने ऐसा ही किया। कुछ देर में किसान खेत में आया उसने देखा हिरण मरा पड़ा है यह देख कर उसने जाल खोल दिया। वह जाल को समेट कर एक ओर रखने चल देता है। उसी समय कौआ तेजी से चिल्लाने लगता हैं। उसकी बात सुन कर हिरण तेरी से भाग लेता है।
किसान पलट कर देखता है तो वह एक डंडा फेंक कर मारता है। हिरण तो भाग जाता है लेकिन डंडा झाड़ी में छिपे सियार के सर पर लग जाता है। जिससे वह मर जाता है।
यह देख कर कौआ और हिरण बहुत खुश होते हैं। दोंनो अपने पेड़ के नीचे वापस आ जाते हैं।
कौआ: भाई शत्रु जाति से कभी दोस्ती नहीं करनी चाहिये।
शिक्षा: जैसे कितना भी गर्म पानी हो वह आग को बुझा देता है। उसी प्रकार शत्रु कभी दोस्त नहीं बन सकता।
Image Source : Playground
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