Short Story : बहु की घर वापसी

Short Story in Hindi
Advertisements

Short Story : बहु की घर वापसी

महेश जी सुबह की सैर करके वापस लौटे ही थे, कि उनकी पत्नि शारदा ने शिकायत करनी शुरू कर दी।

शारदा: देखा आपने अपनी बहु के रंग मैंने पहले ही कहा था बेटा बेटा कह कर उसे सर पर मत चढ़ाओ।

महेश जी: क्या हुआ क्यों इतना परेशान हो।

शारदा: मैं सुबह नाश्ता बनाने जा रही थी। तो कविता कहने लगी मम्मी जी आप रहने दो पहले मैं अपना और रितेशा का नाशता बना लूं आप और पिताजी तो घर पर ही रहते हो बाद में नाश्ता कर लेना। मुझे आज तक किसी ने किचन में जाने से नहीं रोका। अब इनसे पूछ कर किचन में जाना पड़ेगा।

महेश जी: सही तो कह रही है कविता और रितेश सुबह जल्दि ऑफिस के लिये निकलते हैं। तुम तो बेकार ही परेशान हो रही हों।

शारदा जी बिना कुछ बोले किचन में नाश्ता बनाने चली जाती हैं। [Short Story]

इसी तरह हर दिन बात बात पर शारदा जी अपनी बहु कविता से बहस करती रहती थीं।

एक दिन रितेश ने कहा

रितेश: पापा मैं सोच रहा था कि कहते कहते वह रुक जाता है।

महेश जी: क्या बात है बेटा साफ साफ बोल

रितेश: पापा मॉं और कविता में हर दिन बहस होती रहती है। क्यों न हम अलग रहने लगें।

तभी वहां शारदा जी आ जाती हैं।

शारदा जी: हॉं तो महारानी ने पट्टी पढ़ा दी

रितेश: नहीं मॉं ऐसी बात नहीं है लेकिन ऐसे ही चलता रहा तो आगे बहुत परेशानी हो जायेगी।

महेश जी: बेटा जैसा तुम चाहो। अगर तुम्हें ऐसा लगता है तो यही सही हम चाहते हैं कि सब खुशी खुशी रहें।

यह सुन कर शारदा जी रोने लगती हैं। [Short Story]

शारदा जी: एक ही बेटा है हमारा और आप उसे भी अलग रहने की बात कर रहे हो।

Advertisements

महेश जी: जाने दो उसे हम किसी को बॉंध कर नहीं रख सकते।

अगले दिन कविता और रितेश अलग घर में रहने चले जाते हैं।

Read Also : 5 बेटियों की शादी | Moral Story in Hindi

इसी तरह कुछ दिन बीत जाते हैं। दोंनो कभी कभी मिलने आते थे।

एक दिन रात को 1 बजे रितेश का फोन रिंग होता है।

दूसरी तरफ महेश जी थे।

महेश जी उसे बताते हैं। कि उसकी मॉं को सीनें दर्द था। वे उसे हॉस्पिटल लाये हैं। उन्हें माईनर र्हाट अटैक आया है। [Short Story]

रितेश और कविता तुरंत हॉस्पिटल पहुंच जाते हैं।

डॉ. शारदा जी को एक सप्ताह तक हॉस्पिटल में रहने की सलाह देता है।

कविता दिन रात शारदा जी की सेवा करती है। वह अपनी नौकरी की चिंता करे बगैर दिन रात हॉस्पिटल में रहती है। इधर रितेश घर पर महेश जी का ध्यान रखता है।

Read Also : Moral Story : मॉं की वृन्दावन यात्रा | प्रेरणादायक कहानी

एक सप्ताह बाद जब डॉक्टर उन्हें डिर्स्चाज करता है। तो कविता कहती है।

Advertisements

कविता: मॉं को हम अकेला नहीं छोड़ सकते हम अब मॉं पिताजी के साथ रहेंगे।

यह सुनकर शारदा जी की आंखों से आंसू आ जाते हैं। वह बहु को पहली बार कहती हैं।

शारदा जी: बेटी मुझे माफ कर दे।

कविता: मांजी आपकी बेटी होती तो क्या आप उससे मॉफी मांगती आज से आप कितना भी डॉंटे मैं आपको छोड़ कर नहीं जाउंगी। एक पल आपको खोने के ख्याल से मैं सिहर उठी।

उसके बाद चारो अपने घर के लिये निकल पड़ते हैं। अब बहु बेटी बन गई थी इसलिये शारदा जी और कविता में कभी अनबन नहीं हुई।

Advertisements

Anil Sharma is a Hindi blog writer at kathaamrit.com, a website that showcases his passion for storytelling. He also shares his views and opinions on current affairs, relations, festivals, and culture.