वरलक्ष्मी व्रत 2024 | शुक्रवार 16 अगस्त 2024 |
शुभ मुहूर्त | सिंह लग्न पूजा मुहूर्त 05:57 am to 08:14 am वृश्चिक लग्न पूजा मुहूर्त 12:50 pm to 03:08 pm, कुम्भ लग्न पूजा मुहूर्त 06:55 pm to 08:22 pm वृषभ लग्न पूजा मुहूर्त 11:22 pm से 01:08 am 17 अगस्त 2024 |
Varalakshmi Vrat : वर लक्ष्मी का व्रत अत्यंत शुभ फल देने वाला व्रत है। जैसा कि नाम से प्रतीत होता है वर + लक्ष्मी अर्थात वर (इच्छा पूर्ति) वाला व्रत। इस व्रत को विधि पूर्वक करने से मॉं लक्ष्मी का विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है। मॉं लक्ष्मी अपने भक्तों की हर मनोकामना पूर्ण करती है। मॉं के आशीर्वाद से उसे कभी भी धन-धान्य की कमी नहीं होती।
वरलक्ष्मी व्रत की पूजा विधि (Varalakshmi Vrat Puja Vidhi)
- प्रातः काल नित्य कर्म से निवृत होकर पूजा के स्थान को गंगा जल छिड़कर कर शुद्ध करें।
- लकड़ी के पट्टे पर एक लाल रंग का कपड़ा बिछा कर उस पर गणेश लक्ष्मी की मूर्ति स्थापित करें। मूर्ति को भी गंगा जल से स्नान करायें।
- साथ में एक लोटे में जल भर कर कलश की स्थापना करें।
- कलश पर मोली बांध कर रोली से सतिया बनायें।
- गणेश जी एवं मॉं लक्ष्मी को धूप, दीप, पुष्प, मिष्ठान आदि अर्पण कर पूजा करें।
- मॉं लक्ष्मी का ध्यान कर व्रत का संकल्प लें।
- मॉं लक्ष्मी के समक्ष कुछ धन अवश्य रखें। आप चाहें तो सोना चांदी भी अर्पण कर सकते हैं। बाद में उसे प्रसाद के रूप में ग्रहण करें।
- पूरे दिन मॉं लक्ष्मी का ध्यान कर व्रत रखें।
- शाम के समय गणेश लक्ष्मी जी को मिष्ठान का भोग लगा कर व्रत पूरा करें।
- सांय काल में मिष्ठान ग्रहण कर व्रत पूरा करें।
वरलक्ष्मी व्रत कथा (Varalakshmi Vrat Katha)
भगवान विष्णु और मॉं लक्ष्मी एक समय पृथ्वी भ्रमण के लिये पधारे उस समय इन्द्र देवता की कृपा से पृथ्वी लोक पर वर्षा हो रही थी। जिसके कारण भगवान विष्णु और मॉं लक्ष्मी को भ्रमण करने में कठिनाई का सामना करना पड़ रहा था।
उसी समय मॉं लक्ष्मी को एक कुट्यिा दिखाई देती है। वे दोंनो साधू रूप में उस कुट्यिा में शरण लेने पहुंच जाते हैं।
कुटिया में एक स्त्री थी। द्वार पर साधू और साध्वी को देख कर वह बहुत प्रसन्न हुई। उसने दोंनो को आदर पूर्वक घर के अन्दर स्थान ग्रहण करवाया सेवा भाव से उन्हें जलपान और भोजन करवाया।
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भोजन के उपरांत उस स्त्री ने उनके शयन का प्रबंध किया। भगवान विष्णु और मॉं लक्ष्मी शयन करने चले गये।
कुछ समय बाद उसका पति आया। तब उस स्त्री ने अपने पति से कहा – ‘‘स्वामी आज घर में कुछ भी खाने के लिये नहीं है। आपके बिना पूछे मैंने आपके और अपने हिस्से का भोजन इन साधू और साध्वी जी को करा दिया और शयन के लिये अपना बिस्तर दे दिया। आज रात हम घर के बाहर बैठ कर बिता लेंगे।’’
उसके पति ने कहा – ‘‘अतिथि का सम्मान कर तुमने बहुत अच्छा किया। चलो बाहर सोने चलते हैं कहीं हमारें कारण इनकी नींद खराब न हो जाये।’’
दोंनो पति पत्नि रात भर बाहर एक स्थान पर बैठ कर रात बिताने लगे क्यों सभी स्थान पर वर्षा हो रही थी।
प्रातः जब साधू और साध्वी उनसे विदा लेने लगे। तो साध्वी बनी लक्ष्मी जी ने उन्हें वर लक्ष्मी व्रत के बारे में बताया और कहा कि इस व्रत के करने से तुम्हारी सारी दरिद्रता दूर हो जायेगी।
उनके बताये अनुसार उस स्त्री ने वह व्रत किया और उसकी कुट्यिा सुन्दर महल बन गई। उसके साथ ही धन-धान्य के ढेर लग गये। यही व्रत उसने अपने गॉंव की सभी स्त्रियों को कहा। इस प्रकार सभी पर मॉं लक्ष्मी की कृपा होने लगी।
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