Short Hindi Story with Moral Values : संजय शाम को थका हुआ घर पहुंचा तो उसकी पत्नि सुजाता ने पूछा … क्या बात है आप इतने परेशान क्यों हैं? … नहीं कुछ नहीं बस ऐसे ही संजय ने टालते हुए कहा … तभी सुजाता बोली … आप मुझसे कुछ छिपा रहे हैं अगर पैसों की बात है तो आप चिन्ता न करें मैं घरों में काम कर तो रही हूॅं आज नहीं तो कल तनख्वाह मिल जायेगी। … संजय ने नम आंखों से जबाब दिया … अब क्या तन्ख्वाह मिलेगी नौकरी ही चली गई … क्या ये क्या कह रहे हो तुम्हारा सेठ तो बहुत मक्कार निकला … सुजाता गुस्से में बोली।
संजय ने उदास मन से उसे जबाब दिया … नहीं ऐसा नहीं है। दुकान पर बहुत घाटा चल रहा है … पुराने बंधे हुए सारे ग्राहक दूसरी दुकान पर चले गये … पास ही एक बहुत बड़ी नई दुकान खुल गई है … मालिक को अब न पीछे से माल उधार मिलता है न कोई ग्राहक उधार का पैसा वापस कर रहा है … मालिक दुकान बंद करने को बोल रहे हैं।
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इधर श्याम जी आज घर पहुंचे तो बहुत उदास थे … सांची ने पापा को देखा तो वह दौड़ कर पानी ले आई … तभी उनकी पत्नी कविता ने उन्हें परेशान देखा तो पूछा … क्या बात है तुम इतने परेशान क्यों हो … श्याम जी ने उन्हें दुकान की चाभी देते हुए कहा … आज मैं दुकान बंद कर आया हूॅं … अब उस दुकान में कुछ नहीं बचा … यह सुनकर कविता की आंखें नम हो गईं।
वह पहले से जानती थी कि दुकान घाटे में चल रही है … लेकिन इतनी जल्दी सब खत्म हो जायेगा उसे उम्मीद नहीं थी … फिर भी उसने अपने आपको संभालते हुए श्याम जी से चाभी ली और कहा … आप चिंता न करें ये चाभी में मन्दिर में रख रही हूॅं … हमारी दुकान को वे ही शुरू करवायेंगे … यह सुनकर श्याम जी के चहरे पर फीकी सी हंसी आई और कुछ देर में वह गायब हो गई।
अगले दिन श्याम जी घर के आंगन में बैठ कर सुबह का अखबार पढ़ रहे थे … आज न तो दुकान जाने की जल्दी थी … न अपने नौकर संजय को फोन करने की … इधर संजय भी आज सुबह उठ कर बहुत परेशान था … उसे लग रहा था अभी मालिक का फोन आ जायेगा और वे उसे डाटते हुए कहेंगे … अभी घर में ही बैठा है दुकान कब खोलेगा।
इसी सबके बीच बैठे बैठे श्याम जी को ध्यान आया कि उन्होंने अभी पिछले महीने ही बिट्यिा का ब्याह पक्का किया है … अगर उनके समधियों को यह पता लगा तो वे न जाने क्या सोचेंगे … बाजार में यह खबर तो आग की तरह फैल जायेगी … तभी कविता चाय बना कर ले आई … श्याम जी ने चाय का घूंट लेते हुए कहा … कविता किसी को ये बात मत बताना कि हमारी दुकान बंद हो गई है … कहीं लड़के वालों को पता लग गया तो वे न जाने क्या सोचेंगे … और कहीं रिश्ता न तोड़ दें।
सांची पीछे खड़ी पापा मम्मी की बातें सुन रही थी … वह गहरी सोच में पड़ गई … पापा की दुकान बंद हो गई … अब कैसे शादी का इंतजाम करेंगे … इसी दुकान के भरोसे तो वो कर्ज लेना चाह रहे थे … अब कौन उन्हें कर्ज देगा … यही सब सोच कर उसकी आंखों से आंसू बहने लगे … वह दौड़ कर घर के मन्दिर के सामने पहुंच गई … भगवान मुझे लड़की क्यों बनाया … मैं केवल अपने पिता पर बोझ बन गई हूॅं … आज अपने व्यापार की चिंता करने की बजाय उन्हें मेरी चिंता हो रही है।
कुछ देर बाद दरवाजे पर दस्तक हुई … कविता ने दरवाजा खोला तो देखा सामने संजय खड़ा था … आओ संजय अंदर आओ … उसे देख कर श्याम जी चौक गये … संजय मैंने तुमसे कहा था मैं तुम्हारी बकाया तनख्वाह धीरे धीरे चुका दूंगा फिर तुम सुबह सुबह यहां आ गये … मुझ पर अब इतना भी भरोसा नहीं रहा … संजय उन्हें देख कर रोने लगा … नहीं सेठ जी ऐसी बात नहीं है … बीस साल से आपकी दुकान पर नौकरी कर रहा हूं अब घर पर बैठ कर क्या करूं कुछ समझ नहीं आ रहा … सुबह आपके घर चाभी लेने आता था इसीलिये आ गया।
यह सुनकर श्याम जी की आंखे भी नम हो गई … क्या करें संजय अब तो तू कहीं और काम ढूंढ ले … हट्टा कट्टा है तुझे कहीं भी काम मिल जायेगा।
सेठ जी मुझे घर पर ही रख लीजिये घर का छोटा मोटा काम कर दिया करूंगा … नहीं नहीं ऐसा कैसे हम तनख्वाह कहां से देंगे … वैसे भी यहां काम ही कितना है।
श्याम जी ने उसे समझा कर वापस भेज दिया … उसे भेजने के बाद वे भी फूट फूट कर रो पड़े … तभी सांची उनके पास आई बोली … पापा आप हिम्मत हार जाओगे तो हमारा क्या होगा … आप एक काम कीजिये लड़के वालों से बात कीजिये कि अभी हम शादी नहीं कर सकते … हमें कुछ समय चाहिये … जब सब कुछ ठीक हो जायेगा तो शादी भी हो जायेगी।
श्याम जी ने अपने आंसू पौंछते हुए कहा … नहीं बेटी बड़ी मुश्किल से रिश्ता मिला है … मैं किसी तरह सब इंतजाम कर लूंगा … जरूरत पड़ी तो यह घर कुछ दिन के लिये गिरवीं रख दूंगा।
नहीं पापा आप ऐसा कुछ नहीं करेंगे … अगर आपने ऐसा कुछ किया तो मैं यह घर छोड़ कर चली जाउंगी … आप चिन्ता मत कीजिये मैं अपने आप सब ठीक कर लूंगी।
कुछ देर बाद सांची ने अपने होने वाले पति साहिल से फोन पर बात की और उसे एक बाहर मिलने के लिये बुलाया … दोंनो एक रेस्तरा में मिले … सांची ने सारी बात बता दी … यह सब सुनकर साहिल ने कहा … सांची तुम चिन्ता मत करो तुम्हारे पापा मेरे पापा की तरह हैं … मुझे एक दिन का समय दो मैं अपने परिवार से बात करके कल बताता हूॅं … सब ठीक हो जायेगा।
सांची को साहिल की बातों पर विश्वास हो गया और वह घर आ गई … अगले दिन सांची इंतजार करती रही लेकिन साहिल का फोन नहीं आया … दोपहर के बाद सांची ने उसे फोन किया तो उसने कहा … देखो सांची मेने पापा ने मेरी पढ़ाई पर बहुत पैसे खर्च किया हैं … हमने ये सोच कर रिश्ता किया था कि तुम्हारे पापा की मार्किट में अच्छी खासी दुकान है तो वे अच्छी शादी करेंगे …
लेकिन अब जब तुम्हारे पापा की दुकान ही नहीं रही तो … यह कहते हुए साहिल थोड़ा रुक गया फिर बोला … वो मेरे पिता रिश्ते के लिये इंकार कर रहे हैं … लेकिन साहिल क्या तुम पैसों के लिए मुझसे शादी कर रहे थे … सांची ने गुस्से में कहा यह सुनकर साहिल ने बहुत बेशर्मी से जबाब दिया … आजकल पैसा तो सबको चाहिये अच्छा लड़का चाहिये तो पैसा तो खर्च करना ही पड़ता है इसमें गलत क्या है … सांची ने गुस्से में कहा … मैं अब तुम जैसे लालची से शादी भी नहीं करना चाहती … वो तो अच्छा हुआ तुम लोगों का असली रूप सामने आ गया।
सांची ने फोन काट दिया और राते हुए मम्मी के पास पहुंची … उसने मम्मी को सारी बात बता दी … कविता ने कहा … बेटी अपने पापा को ये सब मत बताना … मैं बाद में बता दूंगी।
इसी तरह कुछ दिन बीत गये। श्याम जी अभी शादी की चिंता में डूबे थे … कि इतने कम समय में सारी तैयारियां कैसे होंगी … एक दिन कविता ने उनसे कहा … आपको एक बात बतानी थी … हमें सांची का रिश्ता कहीं ओर करना पड़ेगा … वे लोग अब हमारे घर से रिश्ता नहीं जोड़ना चाहते हैं … साहिल ने सांची को बता दिया है। यह सुनकर श्याम जी को गहरा धक्का लगा … हे भगवान अब क्या होगा मेरी बच्ची का … पापा आप चिंता न करें वे पैसे के लालची थे … शादी के बाद भी परेशान करते रहते।
श्याम जी चुप हो गये … जैसे मन के एक कोन में कुछ टूट गया … सारे बने हुए काम बिगड़ते चले जा रहे थे … पूरे जीवन की प्रतिष्ठा भी धूल में मिल गई … सबको इस रिश्ते के बारे में पता है .. अब क्या होगा यही सोच कर उनकी आंखें नम थीं … वे बिना कुछ बोले शांत हो गये।
दो दिन बाद कविता ने कहा … चलिये आप मेरे साथ बाजार चालिये कब से घर में बैठे हैं … मुझे कुछ सामान लाना है … श्याम जी बिना कुछ कहे चलने को तैयार हो गये … कविता जानती थी कि उन्हें बहुत गहरा सदमा लगा है … जिससे उन्हें बाहर निकालना है … वह श्याम जी के साथ बाजार पहुंच गई … श्याम जी चुपचाप उसे खरीदारी करते देखते रहे … जैसे उन्हें कोई मतलब न हो … तभी कविता ने कहा … आप यहां बेंच पर बैठ जाईये मैं अभी अंदर स्टोर से सामान लेकर आती हूॅं … भीड़ में आप परेशान हो जायेंगे।
श्याम जी वहीं बैंच पर बैठ गये … कुछ देर बाद किसी ने पीछे से कंधे पर हाथ रखा … श्याम जी ने मुड़ कर देखा तो उनके बचपन का दोस्त मनोहर खड़ा था … अबे तू यहां क्या कर रहा है … मनोहर ने पूछा … श्याम जी ने फीकी हंसी के साथ जबाब दिया … कुछ नहीं पत्नी को कुछ सामान लेना था उसी के साथ आया हूॅं।
मनोहर ने पूछा … दुकान कैसी चल रही है … दुःखती रग पर हाथ रखते ही श्याम ही उदास हो गये … अब तुझसे क्या छिपा है … दुकान में घाटा हो गया … इसी वजह से बेटी का रिश्ता भी हाथ से चला गया।
मनोहन ने डॉंटते हुए कहा … इतना सब हो गया मुझे एक फोन नहीं कर सकता था … भाई दिमाग ही कहां चल रहा है … तू बता क्या हाल है श्याम जी ने बात बदलते हुए कहा … वो सब छोड़ मेरे साथ चल … मनोहर बोला … श्याम जी ने पूछा … कहां … मनोहर … चल बस भाभी से मैं बात कर लेता हूं। वह स्टोर के अंदर गया और कुछ देर में बाहर आ गया … चल मैंने भाभी से बोल दिया है … खड़ा हो।
श्याम जी उसके साथ चल दिये … अब जैसे उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता था। मनोहर उन्हें लेकर उसी बड़े स्टोर पर पहुंच गया … श्याम जी बाहर ही खड़े हो गये … अरे तू मुझे यहां क्या लाया है … इसी की वजह से मेरी दुकान बंद हो गई … अगर इसका मालिक मिल जाये तो उसका मुंह तोड़ दूं।
मनोहर बोला … चल दोंनो मिल कर उसका मुंह तोड़ते हैं … वह उन्हें अंदर ले गया और अंदर एक केबिन में ले गया जो कि मैंनेजर का केबिन था।
इससे पहले कि श्याम जी कुछ समझ पाते … मनोहर ने मैंनेजर से कहा … देखो ये मेरे खास दोस्त हैं और आज से इस स्टोर के मालिक … तुम हमारे दूसरे स्टोर का काम देखोगे … ले भाई श्याम संभाल अपना स्टोर।
श्याम जी को कुछ समझ नहीं आ रहा था … मनोहर बोला … परेशान मत हो मैं सब बता देता हूॅं … मैंने तुझसे कई बार कहा तरक्की कर लेकिन तू अपनी छोटी सी दुकान से खुश था … इसीलिये मैंने तेरे पास ही यह स्टोर खोला … आज से यह तेरा स्टोर है … मेरे ऐसे बारह स्टोर अलग अलग शहरों में हैं … हमारी एक कंपनी है जो इन स्टोर की फ्रंचाइजी देती है।
श्याम जी बोले … लेकिन मेरे पास तो एक भी पैसा नही है … मनोहर बोला … मुझे पता है तू चिन्ता मत कर इसीलिये मैंने तुझे बिना बताये ये स्टोर तेरे नाम पर रजिर्स्टड कर दिया है … पिछले छः महीने से इसे चला भी रहे हैं … वो भी प्राफिट में … बस तू यहां बैठ यह सब तेरा ही है। धीरे धीरे कंपनी का लोन चुका देना यह स्टोर तेरा हो जायेगा।
श्याम जी की आंखों से आंसू बह रहे थे … जैसे किसी ने उनके अंदर प्राण फूंक दिये हों … मैं तेरा यह एहसान कैसे चुकाउंगा … श्याम जी बोले … बहुत आसान है … ये जो मैंनेजर है ये मेरा बेटा है मैं इसके लिये तेरी बेटी का हाथ मांगता हूं … बोल करेगा शादी।
श्याम जी की आंखों से टप टप आंसू बह रहे थे … एक पल में उनकी सारी परेशानी दूर हो गईं … आज उनका भगवान पर विश्वास और भी पक्का हो गया … वे मनोहर के गले लग कर रोने लगे।
कुछ ही दिनों में सांची का विवाह हो गया … अब उन्होंने संजय को भी वापस काम पर बुला लिया था।
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