गरीब की बेटी का जन्मदिन | Moral Stories for Childrens in Hindi

Moral Stories for Childrens in Hindi

Moral Stories for Childrens in Hindi : गॉव से सुबह मजदूरी करने के लिये शहर जाने के लिये बिशनसिंह घर से निकला ही था। कि उसकी शोभा ने कहा

शोभा: सुनो जी आज कई दिन से तो आपको पैसा नहीं मिला कब तक बिना पैसे मजदूरी करते रहोगे।

बिशन: भाग्यवान शहर में काम करवाने वाले मजदूरी कै पैसे रोक के रखते हैं कहीं मजदूर भाग न जायें लेकिन आज जहां मैं काम करता हूं वहां का काम खत्म हो जायेगा।

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तभी उसकी बेटी कविता भागते हुए आई और कहा ‘‘पिताजी आपने कहा था मेरे जन्मदिन पर नये कपड़े लाओगे। आज मेरा जन्मदिन है मुझे नई फ्रॉक चाहिये।

शोभा: सुनो आज मजदूरी मिल जाये तो इसके लिये फ्रॉक ले आना।

बिशन: ठीक है बेटा आज मैं फ्रॉक लेकर आउंगा और साथ में मिठाई भी शाम को तेरा जन्मदिन मनायेंगे।

बिशनसिंह जल्दि जल्दि चलते हुए शहर पहुंच गया। आज वह पूरी मेहनत से काम कर रहा था। मालिक सुबह काम समझा कर चले गये। थोड़ी देर बाद मालकिन आ गई।

मालकिन: आज शाम तक सारा काम समेट देना। कुछ बचना नहीं चाहिये।

बिशन: मालकिन आप चिन्ता मत करो आज शाम से पहले ही सारा काम खत्म हो जायेगा।

बिशन जल्दि जल्दि काम में लग गया मिस्त्री के साथ उसने लग कर काम करवाया क्योंकि वह सोच रहा था कि जल्दि से घर पहुंच जाये उससे पहले उसे बाजार से कपड़े और मिठाई भी खरीदनी थी।

दोपहर को मालिक काम देखने आये

मालिक: बिशन तुमने कुछ खाया या काम ही कर रहे हो अपनी हालत देखो क्या हो रहा है।

बिशन: वो मालिक मैं सोच रहा था। आज जल्दि काम निबटा लूं तो घर जल्दि पहुंच आउंगा।

मालिक अपने नौकर से कहकर उसे खाना खिलवाते हैं। जब बिशन खाना खा रहा था। तभी मालकिन आई और बोली ‘‘काम छोड़ कर खाने बैठ गया काम कब करेगा।’’

तभी मालिक बोले ‘‘उसे मैंने खाना दिया है कुछ तो तरस खाओ इस पर सुबह से भूखे पेट कड़ी मेहनत कर रहा है। बिशन खाना खाकर कुछ देर आराम कर ले फिर काम करना’’

बिशन ने जल्दि से खाना खाया और आराम करे बगैर काम पर लग गया। मालिक कुछ देर बाद चले गये। शाम को जब वह हाथ धो रहा था। तभी मालकिन आ गई।

मालकिन: अरे इतना काम पड़ा ये कौन करेगा तुम्हें तो बस हाथ धोने की पड़ती है।

बिशन: लेकिन मैंने तो सारा काम खत्म कर दिया।

मालकिन: वह देख ये लकड़ी बची हैं इन्हें छत पर पहुंचाना है, यहां सारी सफाई करनी है। घर को पहले की तरह साफ करके फिर जाना।

बिशन मन मार कर काम में लग गया। उसे चिन्ता थी कि अंधेरा होते ही बाजार की दुकाने बंद हो जायेंगी कपड़े और मिठाई कैसे खरीदेगा।

बिशन जैसे ही काम निबटाता मालकिन उसे दूसरा काम बता देती। किसी तरह बिशन ने सारे काम निबटाये। मलकिन ने उसका हिसाब कर पैसे दिये। बिशन जल्दि से पैसे लेकर बाजार की तरफ दौड़ा पड़ा उसने पैसे गिने भी नहीं मुठ्ठी मैं पैसे लेकर वह जंगल के रास्ते शहर की ओर दोड़ रहा था।

इधर सूरज भी उसे चमका देकर छिपना चाहता था। धीरे धीरे अंधेरा बढ़ने लगा बिशन की सांस फूल रही थी फिर भी वह दौड़ रहा था। तभी उसे ठोकर लगी और वह गिर गया। उसकी कोहनी से खून बहने लगा। इसी बीच उसकी मुठ्ठी खुल गई और सारे पैसे गिर गये।

बिशन अपनी चोट भूल कर मिट्टी में पैसे ढूंढने लगा। लेकिन सिवा धूल के उसके हाथ कुछ नहीं आया कुछ सिक्के ही ढूंढ पाया था वह। वह उठ खड़ा हुआ और रोता हुए बाजार पहुंच गया। वहां रोशनी में जाकर देखा उसके हाथ चंद सिक्के ही बचे थे। जिनसे न फ्रॉक आती न मिठाई। बिशन की पूरे चार दिन की मजदूरी खो चुकी थी। अब तो घर में फॉंके करने पड़ेंगे।

यही सोच कर वह एक बंद दुकान के बाहर बैठ गया और रोने लगा। अब तक वह जिस अंधेरे से बचना चाह रहा था। अब उसी को ओढ़ कर घर जाना चाहता था। जिससे घर पहुंच कर अपनी बेटी को मुंह न दिखाना पड़े। जब उसकी बेटी सो जायेगी तभी वह घर जायेगा। यह सोच कर बैठ गया। उसकी कोहनी मैं दर्द अब बढ़ गया था।

तभी उसके कंधे पर किसी ने हाथ रखा। बिशन ने पलट कर देखा तो मालिक खड़े थे।

मालिक: बिशन आज तो बड़ी जल्दी काम निबटा रहे थे अब घर नहीं जाना क्या या सारे पैसों की दारू पी ली।

बिशन ने रोते हुए सारी बात बताई।

मालिक ने अपने ड्राईवर के कान में कुछ कहा और उसे कुछ पैसे दिये। ड्राईवर वहां से चला गया।

मालिक: चिन्ता मत करो सब ठीक हो जायेगा।

ड्राईवर कुछ देर में कपड़े और मिठाई लेकर आया।

बिशन: लेकिन मालिक यह सब और यहां बाजार तो बंद हो गया।

मालिक: मेरी भी एक दुकान यहीं है। मैं वहीं से आ रहा हूं और मिठाई की दुकान तो देर तक खुली रहती है। अब तुम बातों में समय मत गवांओ। यह लो।

मालिक ने कपड़े और मिठाई के साथ बिशन की मजदूरी भी उसके हाथ पर रख दी और उसे अपनी गाड़ी में बैठने को कहा

बिशन: मालिक मैं चला जाउंगा मेरे गंदे कपड़ों से आपकी गाड़ी गंदी हो जायेगी। आपका यह उपकार मैं जिन्दगी भर नहीं भूलूंगा।

मालिक: चुपचाप गाड़ी में बैठो यहां से गॉव बहुत दूर है। रही बात उपकार की तो उपकार तुम लोग हम पर करते हो हमारे घर बना कर। जिनमें हम जिंदगी भर रहते हैं।

मालिक उसे लेकर बिशन के घर पहुंचते हैं। बिशन अपनी बेटी को फ्रॉक और मिठाई देता है। मालिक को भी वह मिठाई खिलाता है।

मालिक: कल से तुम मेरी दुकान पर आ जाना मैं तुम्हें नौकरी पर रख रहा हूं कब तक मजदूरी करते रहोगे।

बिशन मालिक के पैरों में गिर गया। इस तरह बिशन के दिन बदल जाते हैं। अब वह पूरी दुकान संभाल लेता है।

शिक्षा: मेहनत और ईमानदारी की कभी हार नहीं होती। ईश्वर किसी न किसी रूप में मदद करने पहुंच ही जाते हैं।