नन्हे साधु का जप | Dharmik Kahani in Hindi

Dharmik Kahani in Hindi
Advertisements

Dharmik Kahani in Hindi : एक बार एक गांव में सूखा पड़ गया। सूखे की वजह से सारी फसले खराब हो गईं। गांव के सारे तालाब और कुएं भी सूखने लगे।

यह सब देख कर गांव के मुखिया ने सभी गांव वालों को एकत्रित किया और कहा –

मुखिया : भाईयों हमारे जिले में भयंकर सूखा पड़ा है। कुओं और तालाबों में कुछ ही दिन का पानी बचा है। ऐसे में अब अगर हमने कुछ नहीं किया तो सब मारे जायेंगे।

यह सुनकर सभी गांव वाले आपस में विचार करने लगे कि क्या करें। लेकिन किसी को कोई उपाय नहीं मिल पा रहा था।

Read More : भक्त ध्रुव की कहानी

मुखिया और गांव वालों ने मिल कर बात की फिर मुखिया ने कहा –

मुखिया : भाईयों हमें लगता है कि यह को दैवीय आपदा है। इसके समाधान के लिये हम गुरु जी के आश्रम चलते हैं। आप तो जानते हैं यहां से उत्तर दिशा की ओर जाने पर गुरुजी का आश्रम है। वहां जाकर उनसे ही कोई समाधान पूछते हैं।

अगले दिन गांव के सभी लोगा गुरु जी के आश्रम में पहुंच जाते हैं। वहां जाकर देखते हैं कि एक छोटी सी झील के किनारे बहुत से साधू बैठे तपस्या कर रहे हैं। पास ही कुछ साधू हवन कर रहे हैं। चारों ओर हरियाली ही हरियाली थी।

गांव के मुखिया ने एक साधू से पूछा –

मुखिया : साधू बाबा गुरुजी कहां मिलेंगे?

साधु : क्या काम है आपको?

मुखिया ने अपने गांव की सारी परेशानी बता दी। यह सुनकर साधू ने कहा –

साधु : आप लोग विश्राम करें गुरुजी अभी ध्यान मुद्रा में हैं। कुछ देर बाद मैं उन्हें आपके आने की सूचना दूंगा।

मुखिया और गांव वाले वहीं हरी हरी घास पर बैठ गये, उपर पेड़ों की छाया थी। नीचे हरी घास चारों ओर खुशी का माहौल देख कर सब अपना दुःख भूल गये।

कुछ देर बाद साधू ने आकर बताया कि गुरुदेव आपको बुला रहे हैं। मुखिया और कुछ लोग गुरु जी की कुटिया में पहुंच गये। उन्होंने दण्डवत् गुरु जी को प्रणाम किया।

गुरु जी : बताईये क्या कष्ट है आप सब यहां किसलिये पधारे हैं?

मुखिया ने सारी बात बता दी।

गुरु जी : यह तो प्रभु की इच्छा है मैं इसमें क्या कर सकता हूं। जिस जीव का समय पूरा हो जाता है। वह भगवान की शरण में चला जाता है। जाओ श्री हरि का नाम जपो वही तुम्हारे कष्ट का निवारण करेंगे।

मुखिया : गुरु जी हम सूखे की मार झेल रहे हैं। फसलें हमारी नष्ट हो चुकी हैं। हमारा परिवार भूखो मर रहा है। आप भगवान का नाम जपने की बात कर रहे हैं। ऐसे में भगवान का नाम कैसे जप सकते हैं?

यह सुनकर गुरुजी हसने लगे।

गुरु जी : अच्छा तो ठीक है मैं तुम्हें अपने आश्रम के सबसे छोटे साधू जिसकी उम्र पांच वर्ष है उसे तुम्हारे साथ भेज देता हूं। वह तुम सब की ओर से नाम जप करेगा। जिससे बारिश हो जायेगी।

Advertisements

लेकिन मेरी एक शर्त है, उस बालक को कोई कष्ट नहीं होना चाहिये। वह वहां केवल आठ दिन रहेगा। आपको उसकी सेवा करनी होगी। अगर वो आपकी सेवा से प्रसन्न हो गया तो हरी भी प्रसन्न हो जायेंगे।

गुरु जी ने उस पांच वर्ष के साधु को अपने पास बुलाया और उसके कान में कुछ कहा।

वह बालक साधु हसते हसते गांव वालों के साथ चल दिया।

Advertisements

गांव में जाकर उसने एक पीपल के पेड़ के नीचे अपना आसन जमा लिया और हरि नाम का जाप शुरू कर दिया।

सभी गांव वाले उसके लिये तरह तरह के फल मिठाईयां दूध दही लेकर उसके पास पहुंचने लगते हैं। कोई अपने घर से दरी, चादर लेकर पहुंचता है।

लेकिन वह छोटा साधू केवल हरी का नाम जाप करता रहता है। गांव वाले उससे बहुत अनुनय विनय करते हैं। लेकिन वह किसी की नहीं सुनता।

एक दिन बीत जाता है। अब मुखिय और गांव वालों को चिन्ता होने लगती है। क्योंकि उन्होंने उस बालक का ध्यान रखने के लिये कहा था, और यह बालक न तो कुछ खा रहा था, न पी रहा था।

गांव में बातें बनने लगी हर घर में यही बात होने लगी –

औरते आपस में बात करती – ‘‘अरे वो छोटा सा बालक तो केवल हरी हरी जपता रहता है। समझ नहीं आता क्या करें?’

इधर गांव के मुखिया और गांव वाले बार बार उसके पास जाते और बोलते – ‘‘महाराज हरी हरी बाद में जप लेना पहले कुछ खा लो।’’

पूरा गांव यही बातें बना रहा था। इसी तरह सात दिन बात जाते हैं। सभी गांव वाले बालक के समीप बैठ कर रोने लगते हैं और प्रार्थना करने लगते हैं – ‘‘महाराज हमें बारिश नहीं चाहिये लेकिन आपको कुछ हो गया तो हम गुरु जी को क्या मुंह दिखायेंगे इसलिये हरी हरी छोड़ कर कुछ खा लीजिये।’’

पूरा गांव बैठ यही प्रार्थना करने लगता है – ‘‘हे प्रभु हे श्रीहरी इस बालक का उपवास पूरा करवा दीजिये।’’

पूरी रात बैठने के बाद सुबह काले काले बादल उमड़ आये और कुछ ही देर में झमाझम बारिश होने लगी। लेकिन गांव वाले बारिश भूल कर वह बालक भीग न जाये इसलिये वे बांस खड़े करके छप्पर बनाने में लग गये।

मुखिया : हे प्रभु श्री हरी हम तो पहले ही से परेशान थे। आपने बारिश और करा दी इस बारिश को बंद कर दीजिये। कहीं यह भूखा बालक बारिश में भीग गया। बहुत चिन्ता बढ़ जायेगी।

यह सब देख कर उस साधु बालक ने आंखे खोल दीं और कूद कर खड़ा हो गया।

बालक साधु : मेरा काम हो गया। आपके गांव में बारिश हो गई अब मैं चला।

वह बालक आगे आगे चल रहा था। पूरा गांव उसके पीछे पीछे आश्रम तक पहुंच गया।

गुरु जी : मुखिया जी आपकी परेशानी खत्म हो गई अब क्यों आये हो?

मुखिया और पूरा गांव गुरुजी के पैरों में गिर गया।

मुखिया : गुरु जी आपके इस नन्हें साधु ने न तो कुछ खाया और न कुछ पिया केवल हरी-हरी का जाप करता रहा। हमें तो कुछ भी ध्यान नहीं रहा। हम तो इसे बचाने में लगे रहे। हमारे कारण इसे बहुत कष्ट हुआ हमें क्षमा कर दीजिये।

गुरु जी : इस बालक को मैंने ही उपवास करने के लिये कहा था। यह तो कई महीने का उपवास रख सकता है। यहां तो केवल आठ दिन ही हुए थे।

अब दूसरी बात सुनो। इसकी चिन्ता में पूरा गांव हरी-हरी बोलता रहा। जिससे प्रभु श्री हरी ने तुम्हारी पुकार सुन ली और बारिश हो गई। चाहें तुम इसे बचाने के लिये ही सही लेकिन खुद भूखे प्यासे रहकर इसकी चिन्ता में मुंह से हरी हरी बोलते रहे। इससे तुम्हारे सारे पाप नष्ट हो गये। अब जाकर अपना जीवन सुख से जियो।

मुखिया : गुरु जी जो बात आप हमें समझाना चाह रहे थे, कि हरी नाम का जाप करो। वो इस तरह से समझाई कि हमें बारिश भी बुरी लगने लगी।

अब यह पूरा गांव श्री हरी का जाप करता रहेगा। जिस पेड़ के नीचे बैठ कर हमारे नन्हें से साधु ने जप किया है। वहां श्री हरी का एक मन्दिर बनाया जायेगा।

गुरुजी से आशीर्वाद लेकर सभी गांव वाले वापस आकर श्री हरी का नाम जपते हुए जीवन बिताने लगे।

Image Source : playground

Advertisements