माँ को पहचान लिया | Motivational Little Boy Story

Motivational Little Boy Story

Motivational Little Boy Story : संजना जैसे ही अपनी कार से उतरी। ऑफिस के गेट तक पहुंची ही थी। तभी एक छोटे से बच्चे ने उसकी साड़ी का पल्लू पकड़ लिया।

‘‘मम्मी तुम मुझे छोड़ कर क्यों चली गईं।’’ संजना अपना पल्ला छुड़ा कर बोली – ‘‘अरे कौन है तू और क्या बकवास कर रहा है।’’

इससे पहले कि बच्चा कुछ कहता गेट कीपर भागता हुआ आया और बोला – ‘‘माफ करना मेडम मैं इसे देखता हूं आप जाईये।’’ संजना तेज कदमों से आगे बढ़ गई। गेटे पार कर आगे जाते समय उसने एक बाद पलट कर देखा। गेट कीपर उस बच्चे को भगा रहा था, लेकिन वो बार बाद अंदर जाने की जिद कर रहा था।

संजना लिफ्ट की ओर बढ़ गई। अपने केबिन में पहुंच कर वह काम में जुट गई। बहुत ज्यादा काम पेडिंग था। दोपहर कब हो गई पता ही नहीं चला। लंच के समय वह अपना खाना खाने बैठी, तभी उसे उस बच्चे की बाद याद आ गई।

संजना ने जल्दी से अपना टिफिन खत्म किया और वह उस गेट कीपर के पास पहुंच गई।

संजना ने इधर उधर देखा लेकिन बच्चा कहीं नजर नहीं आया।

‘‘गार्ड भैया वो बच्चा कौन था?’’ संजना ने पूछा तो गार्ड बोला – ‘‘मेडम उसकी आप चिंता न करें अब वो आपको परेशान नहीं करेगा। मैंने उसके बाप से उसकी शिकायत कर दी थी वो उसे यहां से ले गया।’’

‘‘वो तो ठीक है लेकिन वो ऐसे क्यों बोल रहा था।’’ संजना की उत्सुकता बढ़ती जा रही थी।

गार्ड ने कहा – ‘‘भले घर का बच्चा है मेडम उसकी मां गौरी इसी बिल्डिंग में साफ सफाई का काम करती थी। उसका बाप शराबी है सारा दिन शराब पीकर पड़ा रहता है। एक दिन जब वो घर पहुंची तो पति पत्नी में झगड़ा हो गया। गौरी का सिर दीवार में लगा और वो चल बसी। अब ये बच्चा यहीं घूम घूम कर भीख मांगता है। इस बिल्डिंग में आने वाली बहुत सी लेडिज को अपनी मां समझ कर पीछे पड़ जाता है। आप नई हैं इसलिये आपको अजीब से लगा।’’

संजना ने दुःखी होते हुए पूछा – ‘‘लेकिन आपने उसके बाप से क्या कहा?’’

गार्ड बोला – ‘‘मैंने उससे कहा कि अगर आज के बाद ये बच्चा यहां नजर आया तो तुझे पुलिस में पकड़वा दूंगा। वह उसे मारते हुए घर ले गया। दुःख तो बहुत हुआ, लेकिन कर भी क्या सकते हैं। इसकी रोज कम्पलैंट आती है।’’

संजना बिना कुछ बोले अपने केबिन में आकर बैठ गई। वह एक गहरी सोच में पड़ गई। उस मासूम बच्चे का चेहरा बार बार उसके सामने आ रहा था। आज उसकी वजह से उस बच्चे की पिटाई हो गई। उसका बाप पता नहीं उसके साथ क्या करेगा।

अगले दिन ऑफिस आजे टाईम भी वो बच्चा नहीं दिखा। संजना को इसी तरह तीन दिन बीत गये। एक दिन उसने फिर से गार्ड से कहा – ‘‘गार्ड भैया वो बच्चा दिखा क्या? मुझे उसकी बहुत चिंता हो रही है। आप पता करो न उसके बारे में।’’

गार्ड ने हां में सिर हिलाया अगले दिन संजना जल्दी से ऑफिस के गेट पर पहुंची। गार्ड ने उसे जो बताया उसके पैरों तले जमीन खिसक गई – ‘‘मेडम वो बच्चा तो अस्पताल में भर्ती हैं। उस शराबी ने उसे बहुत मारा। वह डर और मार को सह न सका और बेहोश हो गया। पड़ोस के कुछ लोग उसे अस्पताल में दाखिल कर आये हैं।’’

संजना ने कहा – ‘‘उसके पास अब कौन है?’’

गार्ड बोला – ‘‘कोई नहीं है मेडम अब पता नहीं वो जिंदा भी है या नहीं। मर गया तो उसे लावारिस समझ कर उसकी क्रिया कर देंगे। जिंदा बच गया तो फिर से वही बाप के जुल्म सहने के लिये तैयार हो जायेगा।’’

संजना अंदर से तड़प उठी एक बार ही सही उसने उसे मम्मी कहा था। वह गार्ड से अस्पताल का पता पूछ कर अस्पताल पहुंच गई। वहां उसने पता किया तो उसे एक सरकारी वार्ड में पाया। वह अभी भी बेहोश था। संजना ने डॉक्टर से पूछा।

डॉक्टर बोला – ‘‘मेडम कहां थीं आप ये बच्चा आपको कितना याद कर रहा था। अभी इसे नींद का इंजेक्शन दिया है। वैसे अब ठीक है। आपको अपने बच्चे का ध्यान रखना चाहिये और इसे इतनी बेरहमी से किसने मारा।।’’

संजना बोली – ‘‘वो मेरा बच्चा नहीं है। इसके बाप ने मारा है इसे। इसे कब तक होश आयेगा?’’

डॉक्टर से बात करके संजना वहीं बैठ गई। एक बार मम्मी बोलने से जो अन्जाना सा रिश्ता बन गया था। उसे निभाते हुए वह शाम तक बैठी रही। शाम को बच्चे को होश आया उसने धीरे से आंखें खोल कर कहा – ‘‘मम्मी तुम कहां चली गईं थी, देखो पापा ने मुझे कितना मारा।’’

संजना ने उसे प्यार से गले लगा लिया – ‘‘बस बेटा अब तुझे कोई नहीं मारेगा।’’

तभी पीछे से अविनाश जी की आवाज आई – ‘‘हां और अब मम्मी भी तुझे नहीं छोड़ कर जायेगी।’’

संजना ने अपने पति को सारी बात फोन पर बताई थी। दो दिन बाद संजना और अविनाश बच्चे को अपने घर ले आये।

अविनाश ने बच्चे को गोद लेने के कागज बनवा कर गार्ड और दूसरे लोगों को इकट्ठा करके उसके बाप से पेपर साईन करा लिये। बदले में उसके बाप को दस हजार रुपये देने पड़े।

अविनाश और संजना ने बच्चे का नामकरण करवाया उसका नाम रिषभ रखा।