Mangla Gauri Vrat Katha : मंगला गौरी व्रत की महीमा बहुत निराली है। सौभाग्वती स्त्रियों के लिये यह व्रत अत्यंत आवश्यक है। इस दिन मॉं पार्वती हर मनोकामना पूर्ण करती हैं। घर में सुख समृद्धि के साथ साथ पति और बच्चों की लंबी उम्र की कामना के लिये यह व्रत किया जाता है।
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सौभावती स्त्रियों के लिए वरदान है मंगला गौरी व्रत : जानिए पूजा विधि, व्रत कथा
मंगला गौरी व्रत में माँ पार्वती से हुई ये भूल आप भी जानें
मंगला गौरी व्रत की पूजा विधि
इस व्रत की पूजा विधि हम पहले मंगला गौरी व्रत में बता चुके हैं। इसे आप नीचे दिये लिंक पर क्लिक करके देख सकते हैं।
सौभावती स्त्रियों के लिए वरदान है मंगला गौरी व्रत : जानिए पूजा विधि, व्रत कथा
मंगला गौरी व्रत की कथा
एक गॉव में एक बुढ़िया माई रहती थीं। बुढ़िया माई का एक बेटा था जिसका नाम भोला था। उसकी एक सुन्दर पत्नि थी रूपा। भोला अपनी मॉं का बहुत ख्याल रखता था। बहु भी बहुत सीधी थी। लेकिन बुढ़िया माई दिन रात बहु से झगड़ा करती रहती थी।
एक दिन बुढ़िया माई ने घर आकर बताया ‘‘बहु सुन मैं शिव जी के मन्दिर से आ रही हूं। वहां सब बातें कर रहे थे। कि यदि सावन के सोमवार का व्रत कर अगले दिन मंगल को मंगला गौरी व्रत किया जाये तो भोलेबाबा और मॉं पार्वती की कृपा से तुझे बेटा हो सकता है’’
तब रूपा ने कहा ‘‘लेकिन मांजी मैं तो केवल सोमवार का व्रत करती हूं। ठीक है अब आप कह रही हैं तो इस बार मैं दोंनो व्रत करूंगी।
बुढ़िया माई केवल उसे परेशान ओर भूखा रखने के लिये यह सब कह रही थी। उसने आगे कहा -‘‘अरे ऐसे व्रत नहीं करना है दोंनो दिन कुए से सात घड़े पानी शिवलिंग पर चढ़ाना है।’’
रूपा यह सुनकर परेशान हो गई उसने कहा ‘‘मांजी मैंने तो यह सब करते किसी को नहीं देखा।’’
यह सुनकर बुढ़िया माई को क्रोध आ गया उसने कहा ‘‘मैं क्या झूठ बोल रही हूं यह केवल सन्तान प्राप्ति का उपाय है। जो तुझे करना ही पड़ेगा।
यह सुनकर रूप चुप हो जाती है। कुछ दिन बाद सावन शुरू हो जाता है।
रूपा ने पहले सोमवार को सुबह पूजा पाठ कर व्रत शुरू किया और सात घडे़ पानी कुए से भर कर शिवजी पर चढ़ा दिया। कुआ मन्दिर से काफी दूर था। इसलिये उसे काफी समय लग गया यह सब करने में शाम को जब रूपा वापिस आई तो देखा भोला बहुत गुस्से में घर के बाहर बैठा है। रूपा के पूछने पर उसने गुस्से में कहा -‘‘कहां चली गई थी। इतनी देर लगती है जल चढ़ाने में घर में मेरी मॉं भूखी बेठी है और तू घूम घूम कर पूरा गॉंव देख रही है।’’ यह कहकर भोला ने उसे मारा। रूपा मार खाकर बिना कुछ खाये सो गई।
अगले दिन उसकी सास ने कहा -‘‘बहु आज फिर से तुझे जल चढ़ाना है।’’
यह सुनकर रूपा ने कहा ‘‘मांजी कल से मैंने कुछ खाया नहीं है और इनकी मार से मेरा पूरा शरीर दुख रहा है आज मैं कलश कैसे उठा पाउंगी।’’
यह सुनकर बुढ़िया ने कहा -‘‘कुछ भी कर लेकिन यह तो तुझे करना ही पड़ेगा’’
रूपा पूजा करने चल दी मन्दिर में पूजा करने के बाद वह कुए पर आई बड़ी मुश्किल से उसने पहला कलश भरा और चल दी लेकिन कुछ दूर चलने पर वह गिर पड़ी और उसका मटका भी टूट गया।
रूपा एक पेड़ के नीचे बैठ कर रोने लगी। तभी वहां एक साध्वी आई उसने कहा ‘‘बेटी क्यों रो रही है’’
रूपा ने रोते हुए सारी बात बता दी उसकी बात सुनकर साध्वी ने कहा ‘‘बेटी तू एक काम कर एक लोटा जल का ले और उसमें से सात बार थोड़ा थोड़ा शिवलिंग पर चढ़ा देना और घर जाकर अपनी सास से कहना मैंने जल चढ़ा दिया’’
रूपा ने कहा -‘‘लेकिन यह तो झूठ होगा और मेरा मटका भी टूट गया।’’
तब साध्वी ने कहा ‘‘यह ले लोटा इसमें जल भर कर चढ़ा दे और इसे घर ले जाना लेकिन छिपा कर रख देना’’
रूपा ने ऐसा ही किया। दोपहर को वह घर पहुंच गई।
बुढ़िया माई के पूछने पर उसने वही बता दिया जो साध्वी जी ने बताया था।
शाम को मॉं मंगला की पूजा कर उपवास पूरा किया।
इसी तरह दो मंगला गौरी व्रत पूरे हो गये। लेकिन जब तीसरे व्रत की बारी आई तो बुढ़िया माई चुपचाप रूपा के पीछे गई। उसने सब देख लिया।
बुढ़िया माई ने घर आकर अपने बेटे को सब बता दिया। भोला ने फिर रूपा को मारने के लिये जैसे ही हाथ उठाया मॉं पार्वती प्रकट हो गईं उन्होंने कहा – रूक जा भोला ’’
यह सुनकर भोला रूक गया बुढ़िया माई मॉं पार्वती के पैरी में गिर गई भोला भी माफी मांगने लगा।
मॉं पार्वती ने कहा ‘‘माफी मांगनी है तो इससे मांग जो तेरे और तेरी मॉं के जुल्म सहकर भी पत्नि धर्म निभा रही है।
भोला ने रूप से माफी मांगी।
बुढ़िया माई ने कहा – ‘‘बेटी मुझे माफ कर दे तुझे परेशान करने के चक्कर में मैंने यह सब कहा था।’’
रूपा ने कहा – ‘‘मॉं इस संसार से मेरा मन भर गया है आप मुझे अपने साथ ले चालिये’’
पार्वती जी ने कहा – ‘‘ठीक है आज से तू मेरी कृपा से जंगल में एक आश्रम बना कर भक्ति करेगी लेकिन इन दोंनो को सजा मिलेगी’’
रूपा ने कहा – मॉं इन्हें माफ कर दीजिये।
यह सुनकर मॉं पार्वती ने कहा ‘‘आज तुम्हारी बहु के कारण तुम्हें जीवनदान मिला है। जाओ इस लोटे को रख लो तुम्हारे परिवार में कभी अन्न धन की कमी नहीं होगी। लेकिन मैं अपनी बेटी को साथ ले जा रही हूं’’
मॉं की कृपा से रूपा ने एक आश्रम बनाया जिसमें बहुत सी स्त्रियां जो घर में दुखी थीं आकर भगवान की भक्ति करने लगीं।
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