सबक जिन्दगी का | Modern Life Story

Modern Life Story
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Modern Life Story : शरद अभी ऑफिस से निकला ही था कि कोमल का फोन आ गया

कोमल: शरद कहां हो? मैं कब से तुम्हारा इंतजार कर रही थी। आज मूवी देखने जाना था।

शरद: कोमल मैं ऑफिस के काम में ऐसा उलझा कि सब कुछ भूल गया। तुम कहां हो? मैं अभी तुम्हें पिक करता हूं।

यह कहते कहते शरद गाड़ी में बैठ गया। लेपटॉप का बैग पीछे की सीट पर रख कर जल्दी से गाड़ी र्स्टाट करने लगा।

कोमल: रहने दो अब मूड नहीं है। मैं दो घंटे से तैयार होकर तुम्हारा इंतजार कर रही थी। कभी तो मेरा ध्यान रखा करो।

शरद: याद कोमल बोला न भूल गया। अब इतनी सी बात के लिये मूड खराब मत करो चलो डिनर बाहर करने चलते हैं।

कोमल: नहीं अब मैं कहीं नहीं जाउंगी और खाना भी नहीं बनाउंगी। तुम्हें कुछ ऑडर करना हो तो कर देना।

शरद को भी गुस्सा आ रहा था। लेकिन फिर उसने बात को सम्हालते हुए कहा –

शरद: अच्छा बताओ क्या ऑडर करना है?

कोमल: हर काम मेरे से पूछ कर करते हो? जो खाना हो मंगा लेना।

यह कहकर कोमल ने फोन काट दिया। शरद को बहुत गुस्सा आ रही थी। पूरा दिन ऑफिस में बॉस से चिकचिक, घर पहुंचो तो बीबी के नखरे।

शरद गाड़ी चला कर घर पहुंचा। उसने कोमल को मनाने की बहुत कोशिश की लेकिन कोमल ने उसकी एक न मानी। हार कर शरद भी बिना डिनर किये सोने चला गया।

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दो साल हुए थे दोंनो की शादी को। शरद और कोमल की अरेंज मैरिज हुई थी। शुरू के एक साल तक दोंनो बहुत खुश थे। लेकिन उसके बाद शरद ने एक नई कंपनी में अप्लाई किया। उसे गुरुग्राम में नौकरी मिल गई अच्छा पैकेज था।

दोंनो बहुत खुश थे। वहीं शरद ने छः महीने बहुत मन लगा कर काम किया जो उसका प्रमोशन हो गया। गाड़ी तो शरद के पास थी। उसने एक फ्लेट खरीद लिया। जिसकी इएमआई बहुत ज्यादा थी। शुरू में लगा कि चलो देखा जायेगा।

लेकिन उस अर्पाटमेंट में रहने का सुख ही अलग था। इसी सुख को पाने के चक्कर में हर महीने बारह बारह घंटे काम करके भी ईएमआई भरना मुश्किल होता जा रहा था।

इधर कंपनी के बॉस को उसने मकान के मर्हुत में बुला कर एक और गलती कर दी। बॉस को जैसे ही पता लगा कि इसने बीस साल के लिये ईएमआई बांध ली है। अब कहीं जॉब छोड़ कर नहीं जा सकता।

उसने शरद से ज्यादा काम लेना। बात बात में उसे नीचा दिखाना। जो काम उसका नहीं था वह भी उस पर लाद दिया।

शरद बेचारा सब कुछ सहकर भी कोमल को खुश रखने की कोशिश करता था।

इधर छोटे शहर से गुरुग्राम के अर्पाटमेंट में आई कोमल अब यहां के तौर तरीके सीखने लगी थी। सोसाईटी में रहने वाले लोगों से दोस्ती हो गई। अब उनके जैसे लाईफस्टाईल को अपनाने के चक्कर में अनाप शनाप खर्च करने लगी।

कोमल के लिये लाईफ केवल इंजाय करने के लिये थी। कोमल को हर दिन घूमने जाना था। मूवी, थियेटर, बाहर डिनर इन सबका शौक लग गया था। क्योंकि स्टेटस अपडेट करना था।

इसके अलावा वह शरद के साथ महीने में एक बार टूर प्लान कर लेती थी। जिसे न चाहते हुए भी शरद को मानना पड़ता था।

शरद की जिन्दगी। पत्नी और बॉस को खुश करने में बर्बाद हो रही थी।

खर्च कम करने की बात पर घर में लड़ाई हो जाती थी।

कोमल: बाकी लोग भी तो मेंटेन कर ही रहे हैं। सिर्फ सोच का फर्क है। जैसी आदत डालोगे वैसी डर जायेगी।

शरद: उनकी और हमारी कमाई में जमीन आसमान का अंतर है। इनमें से कुछ लोग तो बहुत पहले से यहां रह रहे हैं। हमें अभी बीस साल ईएमआई भरनी है।

कोमल: तुम कहीं और जॉब के लिये अप्लाई भी तो नहीं करते। तुम भी तो इसी कंपनी से चिपके रहना चाहते हैं। हो सकता है अच्छा पैकेज मिल जाये।

शरद: नौकरी बदलने के रिस्क के लिये सेविंग होनी चाहिये। यहां महीने का लास्ट आने से पहले ही पूरे पैसे खर्च हो जाते हैं। अगली सैलरी तक के खर्चे क्रेडित कार्ड से करने पड़ते हैं। मेरी बात मानो तो कुछ दिन के लिये ये सब बंद कर दो।

कोमल: ये सब तो तुम्हें यहां आने से पहले सोचना चाहिये था। मेरी कितनी बेज्जती होगी। मैंने तुम्हारी भी कितनी तारीफ की है यहां सोसाईटी में। उसका क्या। ये लोग हमें बहुत अमीर समझते हैं। मैं ये सब नहीं कर सकती। तुम्हें किसी तरह अपनी इनकम बढ़ानी होगी।

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शरद चुप रह गया। वह अंदर ही अंदर घुट रहा था। शादी से पहले छोटे से शहर में एक छोटा सा कम्प्यूटर इंस्टीट्यूट चलाता था। कितना सुखी थे। सुबह क्लास होती। दोपहर को खाना खाने घर आता फिर दो तीन घंटे आराम करके शाम की क्लास के लिये निकल जाता रात को दस बजे घर आता, तो कोमल गरम गरम खाना परोसती।

तरक्की के चक्कर में माता पिता को भी छोड़ दिया उन्होंने कितना मना किया था। बेटा जो मिल रहा है उसमें सब्र कर। लेकिन उनकी एक बात नहीं मानी। तब तो गाड़ी खरीदने का शौक था।

एक बार अपना घर क्या छोड़ा। एक बार भी माता पिता से मिलने नहीं गया। छोटा भाई वहीं इंस्ट्टीट्यूट चला रहा है। बार बार फोन पर कहता है भैया मुझे भी वहीं बुला लो।

अब उसे कैसे बताउं कि यहां आकर उसने क्या खोया क्या पाया?

आज सुबह जल्दी मिटिंग थी। सुबह जल्दी जाने के लिये कोमल को बोला था। लेकिन जब शरद सुबह तैयार हुआ तो पता लगा कोमल सोकर ही नहीं उठी है।

बिना नाश्ता किये, बिना टिफिन लिये वह ऑफिस पहुंच गया। आज बॉस ने उसे और उसके साथ काम करने वाले तीन लोगों को नये टारगेट समझा दिये इंक्रीमेंट का लालच देकर पिछले छः महीने से लगातार टारगेट बढ़ाता जा रहा था।

आज के टारगेट पूरा करने के लिये शरद को संडे भी काम करना पड़ेगा। इतना बोझ उठाना उसके लिये असंभव था।

मिटिंग के बाद वह बॉस के केबिन में गया

बॉस: आओ शरद तुम बहुत काबिल हो मुझे विश्वास है ये टारगेट तुम जरूर पूरे कर लोगे।

शरद: सर ये रहा मेरा रिजाईन मैं एक महीने का नोटिस पीरियड पूरा करके चला जाउंगा।

बॉस: ये तुम क्या कह रहे हो? अपने कैरियर से खिलवाड़ कर रहे हो? तुम्हारे घर की ईएमआई का क्या होगा?

शरद: सारे क्लेश की जड़ वह हाई सोसाईटी का घर ही है। जिसके कारण मेरी जिन्दगी नर्क हो गई है। इसी ईएमआई ने मुझे तुम्हारा गुलाम बना रखा था। मैं वह फ्लेट बेच रहा हूं।

इससे पहले कि बॉस ज्यादा सवाल जबाब करता शरद तेजी से बाहर निकल आया।

आज वह बहुत हल्का महसूस कर रहा था। उसने प्रोपर्टी डीलर्स को फोन किया और फ्लेट को बेचने के लिये बोला।

शाम को शरद घर आया तो कोमल ने कहा –

कोमल: हम कल कहीं घूमने चलें क्या? तुम कल की छुट्टी ले लो।

शरद: कोमल अब बस एक महीने की बात है। उसके बाद बस छुट्टी ही छुट्टी है।

कोमल: क्या मतलब?

शरद: मैंने नौकरी छोड़ दी है। इस फ्लेट को बेच रहा हूं। जो भी पैसा मिलेगा उससे लोन चुक जायेगा। हम वापस अपने घर जा रहे हैं। इस मॉर्डन सोसाईटी ने मेरा सुख-चैन और जहां तक कि तुम्हें भी छीन लिया।

अब तुम्हें मेरी को फिक्र नहीं अपने इंस्टीट्यूट में जरा देर होने पर तुम फोन पर फोन करती रहती थीं। कि जल्दी आ जाओ मैं भी भूखी हूं। यहां मैं नाश्ता करूं या नहीं टिफिन बने या नहीं तुम्हें कोई परवाह नहीं है।

एक महीने जितने मजे करने हैं कर लो मैंने पिताजी को फोन कर दिया है। हम वापस आ रहे हैं। वही इंस्ट्टीट्यूट चलायेंगे।

कोमल: ये तुमने क्या कर दिया? सब बर्बाद कर दिया।

शरद: बर्बाद नहीं ये सब कभी हमारा था ही नहीं। दूसरों की होड़ के चक्कर में अपना सुकुन खो बैठे। एक बार सोच कर देखो अगले बीस साल में मेरा क्या हाल होता। ईएमआई वही रहती। मेरे काम करने की शक्ति घटती। खर्चे बढ़ते। एक दिन ऐसा होता कि शायद इस ऐशो आराम के चक्कर में मैं ही नहीं रहता।

यह सुनकर कोमल के होश उड़ गया। इस तरह तो कभी उसने सोचा ही नहीं।

कोमल: मुझे माफ कर दीजिये दूसरो के चक्कर में मैं आप पर ध्यान देना ही भूल गई। आप सही कह रहे हैं। हम वापस अपने घर चलते हैं।

एक महीने बाद दोंनो अपना सामान बांध कर अपने घर पहुंच जाते हैं। माता पिता बहुत खुश होते हैं। उसके बाद दोंनो भाई मिल कर इंस्ट्टीट्यूट चलाने लगते हैं।

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Image Source : Playground

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Anil Sharma is a Hindi blog writer at kathaamrit.com, a website that showcases his passion for storytelling. He also shares his views and opinions on current affairs, relations, festivals, and culture.