हीरे की कीमत | Friendship Story for Kids

Friendship Story for Kids
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Friendship Story for Kids : पुराने समय की बात है एक गुरुकुल था। वहां बहुत से बच्चे पढ़ते थे। गुरुकुल के आचार्य सभी बच्चों को शिक्षा के साथ साथ नैतिक मूल्यों के विषय में अवगत कराते थे।

उसी गुरुकुल में तीन गहरे दोस्त बन गये थे। श्याम, जुगल और प्रकाश। तीनों की दोस्ती बहुत गहरी थी। पूरे गुरुकुल में उनकी दोस्ती के किस्से मशहूर थे। गुरु जी भी उनकी दोस्ती से बहुत प्रभावित थे।

तीनों एक साथ रहते थे एक साथ अध्ययन करते थे। एक साथ खाना खाते थे। उसी गुरुकुल में एक राजकुमार भी पढ़ता था।

राजकुमार अपने घमंड में रहता था। वह तीनों को बहुत नीचा समझता था।

एक बार आचार्य जी ने सभी विद्यार्थियों को बुलाया और सभी को एक छोटे से पहाड़ के पास ले गये। उसके बाद उन्होंने कहा – ‘‘जो भी विद्यार्थी उपर तक चढ़ जायेगा उसे ईनाम मिलेगा।’’

सबसे पहले राजकुमार ने कहा – ‘‘गुरुजी सबसे पहले हमारा हक बनता हैं हम पहले चढ़ेंगे।’’

राजकुमार चढ़ने लगा। कुछ दूर चढ़ की ही वह फिसल कर नीचे आ गया। यह देख कर सब हसने लगे।

राजकुमार को बहुत गुस्सा आया लेकिन गुरुजी के आगे वह कुछ बोल न सका।

उसके बाद बारी बारी से सभी छात्रों ने कोशिश की लेकिन जो भी चढ़ने की कोशिश करता फिसल कर नीचे आ जाता था। सबसे बाद में उन तीनों दोस्तों का नम्बर आया।

तीनों ने आपस में सलाह की – ‘‘श्याम देख जुगल की पकड़ अच्छी है। वह चढ़ सकता है। अगर हम तीनों कोशिश करगें तो कोई नहीं चढ़ पायेगा। हम एक काम करते हैं मैं और श्याम नीचे से सहारा देंगे पहले तू मेरे कंधे पर बैठ जा फिर  जुगल तेरे कंधे पर बैठ जायेगा इस तरह वह आधी दूरी तक पहुंच जायेगा। उपर ज्यादा फिसलन नहीं है। वह आसानी से चढ़ जायेगा। हम तीनों न सही एक को तो ईनाम मिल जायेगा।’’

यह सुनकर जुगल बोला – ‘‘ठीक है भाई जो भी ईनाम मिलेगा मैं तुम दोंनो के साथ बांट लूंगा।’’

श्याम और प्रकाश ने सहारा दिया और जुगल किसी तरह उपर पहुंच गया। कुछ देर बाद तीनों गुरुजी के पास वापस आ गये। उनकी एकता देख कर गुरुजी बहुत खुश हुए।

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गुरुजी ने एक चांदी की डिब्बी दी और कहा बेटा जब मुसीबत में हो तब इसे खोलना।

चांदी की डिब्बी लेकर तीनों वापस गुरुकुल आ गये।

लेकिन अब समस्या ये थी कि उस चांदी की डिब्बी को बांटे कैसे?

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उन्होंने डिब्बी को एक जगह छिपा कर रख दिया। उसके बाद श्याम ने कहा – ‘‘हम तीनों में से जो भी मुसीबत में होगा वह इस डिब्बी को खोल कर देखेगा।’’

इसी तरह कुछ दिन बीत गये। एक दिन तीनों अपने गुरुकुल के अन्य छात्रों के साथ जंगल में जा रहे थे। चांदी की डिब्बी उन्होंने अपनी जेब में रखी हुई थी।

तभी वहां डाकुओं ने उन्हें चारों ओर से घेर लिया। सभी छात्र बहुत बुरी तरह घबरा गये।

डाकू उन्हें बंदी बना कर ले जाना चाहते थे। तभी उनकी नजर राजकुमार पर पड़ी। राजकुमार को उन्होंने पकड़ लिया। जिससे वे राजा से मोटी रकम, सोना चांदी लूट सकें।

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बाकी सब को छोड़ दिया। राजकुमार बुरी तरह रो रहा था। कोई भी उसकी मदद करने के लिये नहीं आ रहा था। जब वे राजकुमार को ले जाने लगे। तब श्याम ने चांदी की डिब्बी उनकी ओर फेंक दी। चांदी की डिब्बी में एक हीरा था। हीरे को देख कर डाकुओं की नियत खराब हो गये। वे उस बड़े से हीरे को पाने के लिये आपस में एक दूसरे को मारने लगे।

मौका पाकर राजकुमार भाग कर अपने बाकी साथियों के पास आ गया। वे सभी भाग कर गुरुकुल पहुंच गये। उधर हीरे के चक्कर में सारे डाकू मर गये।

राजकुमार ने श्याम, जुगल और प्रकाश से माफी मांगी। उसके बाद उन्होंने अपने पिता राजा को सारी बात बताई। राजा ने तीनों को अपने राजमहल में बुला कर सम्मानित किया।

जब वे वापस अपने गुरुकुल आये तो उन्होंने अपने गुरुजी से पूछा – ‘‘गुरुजी इतना कीमती हीरा आपने हमें क्यों दे दिया।’’

यह सुनकर गुरुजी हसने लगे और बोले – ‘‘बेटा वह केवल एक कांच का टुकड़ा था। जो बिल्कुल हीरे जैसा दिखता था। उसका कोई मोल नहीं था।

लेकिन वह अनमोल भी है क्योंकि उसने तुम सबकी जान बचा ली और तुम्हारे दुश्मन को सदा के लिये खत्म कर दिया।

अगर तुम उसी समय वह चांदी की डिब्बी खोल कर देख लेते तो तुम उसे पाने के लिये आपस में एक दूसरे दुश्मन बन जाते। इसीलिये मैंने मना किया था। मुसीबत में तुम्हें हीरे से ज्याद अपनी जान प्यारी लगी। इसीलिये तुम्हारी जान बच पाई। उस दिन जब मैं तुम्हें पहाड़ पर चढ़ा रहा था। तब तुमने एकता दिखाते हुए अपने साथी को उपर चढ़ाने में मदद की।

गुरुजी की इस शिक्षा से सभी छात्र बहुत खुश हुए।

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