नन्ही परी और गरीब लकड़हारा | Fairy Tail Story for Kids

Fairy Tail Story for Kids
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Fairy Tail Story for Kids : परियों की एक अलग ही दुनिया थी। जिसे परियों ने अपने जादू से खूब सजाया था। स्वर्ग से भी सुन्दर पूरा शहर। जिसमें हर परी खुशी खुशी रहती थी। सभी परियों को अच्छे से जादू करना आता था।

रानी परी ने सभी को एक छड़ी दे रखी थी। वही जादुई छड़ी थी। इसी छड़ी के जादू से ये पूरी दुनिया बसाई थी। पृथ्वी पर हर इंसान एक बार इस दुनिया में जाना चाहता था, लेकिन ये किसी के बस की बात नहीं थी।

रानी परी की एक छोटी सी बेटी थी। खुशबू वह पूरे दिन परीलोक में उड़ती रहती थी। खुशबू के पास एक छोटी सी छड़ी थी जिसे वह जब भी उपर करके कहती – ‘‘मुझे आसमान में ले चलो’’ तो वह आसमान में पहुंच जाती थी। उपर से देखने पर परीलोक बहुत सुन्दर नजर आता था।

एक दिन खुशबू उड़ रही थी। तभी वह उड़ते उड़ते अचानक बादलों से उपर पहुंच जाती है। उसे नीचे का कुछ भी दिखाई नहीं दे रहा था। नीचे उसे केवल बादल ही नजर आ रहे थे। कुछ देर बाद जब वह नीचे की ओर आती है तो देखती है। वह परिलोक से पृथ्वी की ओर आ चुकी है।

खुशबू बहुत डर जाती है। वह वापस परिलोक जाने के लिये मुड़ती है। तभी वह एक पक्षी से टकरा जाती है। टक्कर होने के कारण उसके हाथ से छड़ी छूट कर नीचे गिर जाती है।

खुशबू को अपनी छड़ी को ढूंढने के लिये धरती पर उतरना पड़ता है। क्योंकि उस छड़ी के खो जाने पर उसकी जादुई शक्तियां भी कुछ देर में खत्म हो जाती।

खुशबू जब नीचे आती है तो वहां एक जंगल था। खुशबू बहुत डर जाती है। वह एक घास के मैदान में जाकर अपनी छड़ी ढूंढने लगती है। लेकिन बहुत देर ढूंढने के बाद भी जब छड़ी नहीं मिलती तब वह रोने लगती है।

दूसरी ओर खुशबू के न मिलने पर रानी परी बहुत चिंतित हो जाती है। वह अपने सिपाहियों को उसे ढूंढने के लिये भेजती है।

खुशबू परी की रोने की आवाज सुनकर। पास ही एक घर में एक लकड़हारे की पत्नी जाग जाती है। वह अपने पति से कहती है – ‘‘मुझे लगता है कोई बच्चा रो रहा है।’’

यह सुनकर लकड़हारा अपनी कुल्हाड़ी उठा कर बाहर चल देता है। तभी उसका पांच साल का बेटा मोहित कहता है – ‘‘पिताजी मैं भी आपके साथ चलता हूं कहीं यह कुल्हाड़ी देख कर बच्चा डर न जाये।’’

दोंनो बाप बेटे उस दिशा में चल देते हैं जहां से आवाज आ रही थी।

लकड़हारे को एक छोटी सी परी रोती हुई दिखाई देती है। वह उसके पास जाने लगता है। तभी मोहित कहता है – ‘‘रुको पिताजी मैं जाकर पूछता हूं।’’

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लेकिन लकड़हारा कहता है – ‘‘नहीं बेटा कहीं इसने तुम्हें नुकसान पहुंचा दिया। तो क्या होगा।’’

मोहित कहता है – ‘‘पिताजी वह कितनी परेशान लग रही है। मुझे जाने दीजिये।’’

मोहित चुपचाप उसके पीछे जाकर खड़ा हो जाता है -‘‘तुम कोन हो यहां कैसे बैठी हो? और रो क्यों रही हों?’’

खुशबू परी पीछे मुड़ कर देखती है तो डर जाती है। वह वहां से जाने जाने लगती है तभी मोहित उसे रोकता है – ‘‘रुको परी रानी मुझसे डरो नहीं मैं तुम्हारी मदद करने आया हूं।’’

खुशबू परी कहती है – ‘‘मां ने कहा था इंसानों के पास नहीं जाना चाहिये।’’

मोहित उससे कहता है – ‘‘मेरी मां कहती है कोई भी परेशानी में हो उसकी मदद जरूर करनी चाहिये। वहां मेरे पिता खड़े हैं वो भी तुम्हारी मदद करने आये हैं।’’

यह सुनकर खुशबू परी कहती है – ‘‘मैं गलती से अपने घर से बहुत दूर आ गई यहां मेरी जादुई छड़ी गिर गई है। जिसके कारण में घर नहीं जा सकती।’’

मोहित उसे कहता है – ‘‘तुम हमारे घर चलो वहीं रुक जाना अभी तो रात है हम सुबह तुम्हारी छड़ी ढूंढ लेंगे। यहां बहुत से जंगली जानवर आते हैं तो तुम्हें नुकसान पहुंचा सकते हैं।’’

खुशबू परी उसकी बात सुनकर उसके साथ चल देती है। मोहित अपने पिता को सारी बात बता देता है। तीनों घर पहुंच जाते हैं।

मोहित की मां छोटी सी परी को देख कर बहुत खुश होती है। वह कहती है – ‘‘खुशबू तुम हमारी मेहमान हो यहां आराम से रहो लेकिन सुबह अंदर ही रहना नहीं तो किसी ने तुम्हें देख लिया तो तुम्हें पकड़ कर ले जायेंगे।’’

खुशबू बहुत खुश होती है। मोहित की मां उसे खाना देती है। जिसे खाकर खुशबू कहती है – ‘‘यह तो बहुत स्वादिष्ट है। मैं अपनी मां को बताउंगी।’’

अगले दिन सूरज निकलते ही मोहित अपने पिता के साथ छड़ी को ढूंढने निकल पड़ते हैं। लेकिन बहुत ढूंढने के बाद भी उन्हें छड़ी नहीं मिलती। शाम को दोंनो थक हार कर घर आ जाते हैं।

खुशबू यह सुनकर बहुत उदास हो जाती है। उसे अपनी मां की याद आ रही थी। वह रोने लगती है।

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मोहित और उसकी मां उसे चुप कराते हैं। अगले दिन दोंनो बाप बेटे फिर से नई जगह छड़ी ढूंढने जाते हैं। जब उन्हें कहीं भी छड़ी नहीं मिलती तो वे अपने घर के लिये खाने का सामान लेने बाजार में जाते हैं। लकड़हारा जब सामान खरीद रहा था। तभी मोहित की नजर पास ही में सुनार की दुकान पर रखी एक छड़ी की ओर जाती है। वह सोने की तरह चमक रही थी।

मोहित देखता है कि यह तो बिल्कुल वही छड़ी है जैसी परी ने बताई थी। मोहित अपने पिता को सारी बात बता देता है।

लकड़हारा सुनार के पास पहुंचता है। लकड़हारा छड़ी के बारे में पूछता है। तो सुनार कहता है – ‘‘भाई कोई इसे मेरे पास बेच गया है सोने की है।’’

लकड़हारा कहता है – ‘‘लालाजी इसकी जो भी कीमत हो मैं इसे खरीदना चाहता हूं।’’

सुनार उसकी बहुत ज्यादा कीमत मांगता है। जिसे सुनकर लकड़हारा कहता है – ‘‘तुम इस छड़ी के बदले मेरा मकान और मेरी जमीन ले लो।’’

सुनार मान जाता है। वह लकड़हारे से कहता है – ‘‘कल मैं आउंगा तू मकान खाली कर दियो। ये ले छड़ी।’’

मोहित छड़ी लेकर बहुत खुश होता है। दोंनो घर आ जाते हैं। मोहित, खुशबू को छड़ी दे देता है। खुशबू छड़ी पाकर बहुत खुश होती है।

खुशबू परी कहती है – ‘‘आपने मेरी बहुत मदद की है मैं आपको हमेशा याद रखूंगी और आपसे मिलने आउंगी।’’

मोहित की मां कहती है – ‘‘ठीक है बेटी हम भी तुमसे मिलकर बहुत खुश हैं।’’

तीनों मिलकर खशबू परी को विदा करते हैं। खुशबू परी छड़ी की मदद से उड़ कर बादलों के पार चली जाती है।

उसके जाने के बाद तीनों बहुत उदास हो जाते हैं। क्योंकि उनका घर और जमीन चली गई थी। सुबह तक तीनों अपना सामान बांध रहे थे तभी सुनार आ जाता है। तीनों एक बैलगाड़ी में अपना सामान रख कर वहां से चले जाते हैं। सुनार घर को अपने कब्जे में ले लेता है।

लकड़हारा अपनी पत्नी और बच्चे के साथ पास ही के जंगल में एक तम्बू बना कर रहने लगता है।

दूसरी ओर जब खुशबू वापस परीलोक में पहुंचती है। तो उसकी मां बहुत खुश होती है। खुशबू अपनी मां को सारी बात बताती है। दूसरे दिन खुशबू अपनी मां रानी परी और अन्य लोगों के साथ मोहित और उसके परिवार से मिलने आती है।

लेकिन वहां कोई नहीं था। रानी परी अपने सिपाहियों से उन्हें ढूंढने के लिये कहती है। सिपाही ढूंढते ढूंढते जंगल में पहुंच जाते हैं। वहां उन्हें लकड़हारा और उसका परिवार मिल जाता है।

वे तीनों को लेकर रानी परी के पास पहुंचते हैं। रानी परी को सारी बात का पता लगता है। रानी परी कहती है – ‘‘तुमने मेरी बच्ची की जान बचाने के लिये उसे हमसे मिलवाने के लिये अपना सब कुछ गंवा दिया।’’

तब मोहित की मां कहती है – ‘‘महारानी जी हमने इसे अपनी बेटी माना था। ये आपसे मिलने के लिये बहुत उदास थी। इसलिये इसकी खुशी से अधिक हमें कुछ नहीं लगा।’’

रानी परी अपने सिपाहियों को भेज कर सुनार को छड़ी से दुगना सोना भेज कर मकान और जमीन छुड़वा लेती है।

मोहित और उसके परिवार को वापस अपना घर मिल जाता है।

जब वे घर के अंदर जाते हैं तो उनके घर में सोने चांदी का भंडार लगा हुआ था।

रानी परी कहती है – ‘‘ये खजाना कभी खाली नहीं होगा।’’

मोहित की मां ने कहा – ‘‘ये सब हमने किसी लालच में नहीं किया था।’’

रानी परी बोली – ‘‘ये मैं अपनी खुशी से दे रही हूं और हां हम तुमसे मिलने आते रहेंगे। अब हमें जाना होगा।’’

रानी परी खुशबू को लेकर चली जाती है। मोहित और उसका परिवार बहुत मजे से रहने लगते हैं।

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Image Source : playground

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