बेटी की शादी | Best Motivational Story in Hindi

Best Motivational Story in Hindi
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Best Motivational Story in Hindi : एक दिन सन्ध्या अपने ऑफिस से घर आई तो देखा उसकी मॉं घर की सफाई में लगी हुई थी।

सन्ध्या: मॉं क्या बात है आज बहुत सफाई हो रही है।

रुकमणि: बेटी कल तेरी मौसी आ रही है। एक रिश्ता लेकर।

सन्ध्या: मॉं तुम तो जानती हों उन्हें और उनके बताये रिश्ते को। अपनी अमीरी का दिखावा करने आ रही होंगी।

रुकमणि: बेटी जो भी है मना तो नहीं कर सकते अब आ रही है तो देख लेते हैं।

सन्ध्या अपना बैग रख कर रसोई में चली गइ।

सन्ध्या: मॉं आज खाना नहीं बनाया क्या?

रुकमणि: हॉं जल्दी बना दिया था फ्रिज में रखा है निकाल कर गर्म करके खा ले।

सन्ध्या खाना खाकर सोने चली जाती है। रुकमणि देर रात तक सफाई में लगी रहती हैं

सन्ध्या सुबह उठ कर देखती है तो पूरा घर नया सा लगता है। नये परदे सोफे पर नये कवर। रुकमणि चाय बना रही थीं।

सन्ध्या: लगता है मौसी के स्वागत की पूरी तैयारी है।

रुकमणि: हॉं क्यों नहीं, वो मेरी बेटी के लिये रिश्ता जो लेकर आ रही है।

सन्ध्या: मॉं तुम जानती हो। पापा के जाने के बाद इन लोगों ने हम से सारे रिश्ते नाते खत्म कर दिये। फोन तक उठाना बंद दिया था। आज अचानक क्या हो गया।

रुकमणि: वो सब तो ठीक है लेकिन अब आ रही है तो खातिरदारी तो करनी पड़ेगी। तू आज ऑफिस से छुट्टी ले ले। मुझसे इतना काम नहीं संभलेगा।

सन्ध्या: ठीक है लेकिन मौसी ने ताने मारे तो मैं भी सुना दूंगी।

रुकमणि: अरे वो कुछ नहीं कहेगी और कुछ कहे तो सुन लेना। घर आये मेहमान की बेज्जती नहीं कर सकते।

सन्ध्या और रुकमणि ने मिलकर जल्दी से सारा काम निपटा लिया।

दोपहर को अंजू मौसी घर आ गईं।

अंजू: यहां आना तो नर्क में आने जैसा लगता है देखा नहीं बाहर कितनी भीड़ है। गाड़ी भी अन्दर नहीं आ पाई बहुत दूर से पैदल आ रही हूॅं। तुम लोग पता नहीं यहां कैसे रह लेते हो?

सन्ध्या ने गुस्से से मॉं की ओर देखा। मॉं ने इशारे से सन्ध्या को चुप रहने को कहा।

रुकमणि: सन्ध्या मौसी के लिये चाय नाश्ता ले आओ।

सन्ध्या अंजू के लिये चाय नाश्ता ले आती है।

अंजू: तुम लोग तो मुझे पूछते नहीं पर मुझे तो तुम्हारी हमेशा चिन्ता रहती है। अब तुम्हारा है ही कौन मुझे ही सब देखना है। मैं सन्ध्या के लिये ऐसा रिश्ता लाई हूॅं। कि तुम सोच भी नहीं सकते।

रुकमणि: हॉं बहन अब हमारा है ही कौन? वैसे ये बता लड़का कैसा है।

अंजू: बहन दस लाख रुपये महीना कमाता है। मेरे घर के पास ही बहुत बड़ी कोठी है। दो भाई हैं और  एक बहन भी है। सबकी शादी हो गई। बस यह सबसे छोटा ही रह गया है।

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रुकमणि: लेकिन इतने बड़े घर से बात कैसे बनेगी? हमारी हालत तो तू जानती है।

अंजू: अरे तू चिन्ता मत कर मैंने सब बात कर ली है। उन्हें कुछ नहीं चाहिये। दोंनो तरफ की शादी का खर्च उठा रहे हैं। मेरे कहने पर। बस एक बात है।

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रुकमणि: क्या बात है?

अंजू: उस लड़के का पहले विवाह हुआ था। लेकिन एक ही साल में पत्नि का देहान्त हो गया। इसलिये अब उसे कुंआरा ही समझो।

रुकमणि: क्या दूजिया को कैसे ब्याह दूं अपनी बच्ची।

अंजू: इसमें हर्ज ही क्या है? वैसे भी तुम्हारे पास पैसे नहीं हैं। बिना पैसे रिश्ता हो रहा है, राज करगी सन्ध्या वहां।

रुकमणि: नहीं नहीं कोई कुवांरा लड़का हो तो बता।

सन्ध्या: मौसी एक रिश्ता लाईं वो भी ऐसा।

अंजू गुस्से में उठ खड़ी हुई।

अंजू: भलाई का तो जमाना ही नहीं है। तुम सोच लो ऐसा रिश्ता रोज रोज नहीं मिलता।

सन्ध्या: मौसी हमने सोच लिया। ऐसा रिश्ता हमें नहीं चाहिये।

सन्ध्या का गुस्सा देख कर अंजु थोड़ा सा डर गई और बात बदलते हुए बोली –

अंजु: सन्ध्या तो बच्ची है रुकमणि तू सोच कहां से आयेगा पैसा। मेरी बात मान इस रिश्ते के लिये हॉं कह दे।

रुकमणि: ऐसे कैसे हॉं कह दूॅं?

अंजू: तुम एक बार लड़के को देख लो। नहीं समझ में आये तो मना कर देना।

सन्ध्या: मौसी हमें यह रिश्ता नहीं करना। चाहें मेरी शादी हो या न हो आप चिन्ता न करें, वैसे भी आपने आज तक कभी हमारी सुध ली है।

यह सुनकर अंजु गुस्सा होकर चुपचाप वहां से चली गई।

रुकमणि (रोते हुए): सन्ध्या हालात कितने बदल गये। जिस बहन की शादी मैंने पिताजी से लड़ झगड़ कर अच्छे घर में करवाई वो तेरे लिये कैसा रिश्ता लाई है।

सन्ध्या: मॉं तुम चिन्ता मत करो ये लोग हमारी गरीबी का मजाक उड़ा रहे हैं। एक दिन सब ठीक हो जायेगा।

कई महीने बीत जाने के बाद एक दिन किसी रिश्तेदार की शादी में अंजू और रुकमणी की मुलाकात हो गयी जहां और रिश्तेदार भी थे।

अंजू: देख सुशीला मैंने इतना पैसे वाले घर का रिश्ता बताया था सन्ध्या के लिये लेकिन मॉं बेटी ने ठुकरा दिया और अभी तक कुंवारी बैठा रखी है घर में।

सुशीला: लगता है अंजू तुम्हारी आंखें पर पट्टी बंधी है। तुम्हें पता है सन्ध्या डी एम बन गई है। अगर तुम्हारी बात मानती तो नर्क ही भोगती। जिस लड़के के बारे में तुम बता रही हों वो एक नम्बर का गुंडा है। मुझे सब पता है।

रुकमणी: और सुन अंजू मेरी बेटी का रिश्ता बहुत अच्छे घर में पक्का हो गया। मेरी बेटी को सरकारी आवास भी मिल गया है। जानती है लड़का नेवी में है। किसी की मजबूरी का मजाक बनाने से पहले ये भी सोचना चाहिये कि कभी न कभी सबके दिन बदल जाते हैं।

अंजू बिना कुछ बोले वहां से उठ कर चली गई।

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Anil Sharma is a Hindi blog writer at kathaamrit.com, a website that showcases his passion for storytelling. He also shares his views and opinions on current affairs, relations, festivals, and culture.