बेसहारा एक ऐसी कहानी है। जिसे हर लड़की कहीं न कहीं अपनी जिन्दगी से जोड़ ही लेगी। ऐसा विश्वास है। यह एक ऐसी लड़की की कहानी है। जिसे जीवन में कोई सुख नहीं मिल पाया।
करूणा इस कहानी की नायिका है। जिसका जीवन गरीबी में बीता गरीब होते हुए भी उसके जीवन में एक ऐसी खुशी थी। जिसे उसने अपने जीवन का अहम हिस्सा मान रखा था और ऐसा हो भी क्यों न वह थी उसकी सहेली शोभा। शोभा एक अमीर घर की लड़की थी, लेकिन उनकी दोस्ती में इससे कोई फर्क नहीं पड़ा। दोंनो के दिन इस तरह मिले हुए थे, कि गांव में करूणा शोभा को याद करती, तो शहर में शोभा बेचैन हो जाती थी और अपना सारा काम छोड़ कर गांव की ओर चल देती थी।
गांव आकर देखती कि शोभा पर दुःखों का पहाड़ टूट पड़ा है। उसका एक मात्र सहारा उसकी मां मर चुकी थी। जहां एक ओर उसके रिश्तेदार उसकी प्रोपर्टी हड़पना चाहते थे। वहीं करूणा न चाहते हुए भी शादी के बंधन में बंध जाती है।
करूणा का गांव से नाता टूटता है, इधर शोभा भी अपनी डॉक्टरी में बिजी हो जाती है, करूणा पर फिर दुःख सहने पड़ते हैं। पति की मौत, देवर की बुरी नजर से बच कर वह शोभा के पास जाती है।
शोभा का अस्पताल जिसे अब करूणा संभाल रही थी। कुछ दिन अभी सुख और चैन से बीतने शुरू हुए थे, वह शोभा के साथ उसके घर में रह रही थी। तभी करूणा के साथ इस बार कुछ ऐसा हआ, कि उसे अब शोभा का साथ भी छोड़ना पड़ा।
इससे पहले शोभा कुछ समझ पाती। करूणा उसका अस्पताल और घर छोड़ कर चली जाती है। फिर से एक नये सहारे की तलाश में।
क्या इस बार करूणा को शोभा जैसा कोई मिला जो उसे खुशी दे सके, या एक नया दुःख उसके रास्ते में पलके बिछाये बैठा है।
आईये जानतें हैं बेसहारा में
यह एक काल्पनिक कहानी है। इसका किसी भी जीवित या मृत व्यक्ति, स्थान से कोई सम्बन्ध नहीं है।
Image Source : Playground
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